कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़): पाली तानाखार विधायक श्री मोहित केरकेट्टा ने एसईसीएल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि एसईसीएल केंद्र सरकार की कंपनी है जिसके देखरेख एवं सुरक्षा व्यवस्था कंपनी प्रतिमाह करोड़ों रुपए खर्च करती है । वर्तमान में एसईसीएल गेवरा, दीपका एवम कुसमुंडा में लगभग 500 से अधिक सुरक्षा गार्ड तैनात हैं, जिन पर प्रबंधन प्रतिमाह 5 करोड़ से अधिक राशि खर्च कर रहा है। इनके पास माइंस की सुरक्षा का एकमात्र जिम्मा है किंतु इतनी लंबी सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी माइंस की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं।जो किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है।
पुलिस के पास कानून व्यवस्था ,वीआईपी ड्यूटी , अपराधों की जांच सहित अनेकों काम सहित शहर की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी भी पुलिस पर है । जब एसईसीएल प्रबंधन के पास सिर्फ माइंस की सुरक्षा हेतु इतनी लंबी चौड़ी फोर्स मौजूद है जो कोल माइंस की सुरक्षा नही कर पा रही है। इन सबके बावजूद पुलिस पर जिम्मेदारी कैसे थोप सकते हैं। वायरल हो रहे वीडियो की सच्चाई जाने बिना स्थानीय प्रशासन एवं राज्य सरकार पर निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है।
वायरल वीडियो की जांच होना जरूरी
विधायक श्री केरकेट्टा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा की भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है जो बिना सत्यता जाने भ्रामक खबर फैला रही है। कोयले चोरी को लेकर कोरबा पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के निर्देशानुसार ताबड़तोड़ कार्यवाही तत्काल संज्ञान लेकर किया गया है। जो अभी भी जारी है। एसईसीएल कोरबा में संचालित खदानों में कोयला कि चोरी यदि हो रही है तो कितने बार प्रबंधन ने पुलिस के समक्ष शिकायत की है और आखिर क्या कारण है। केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों की तैनाती के बावजूद बड़ी संख्या में कोयले की चोरी हो रही है। फर्जी वीडियो वायरल कर प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन के छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है और यदि नहीं तो इस चोरी को लेकर केवल सोशल मीडिया में वीडियो वायरल करने में ही अवैध कार्य पर मुहर लग रही है। वायरल वीडियो की जांच होनी आवश्यक है इसके लिए उनके द्वारा जिला कलेक्टर रानू साहू व पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल से चर्चा की है।
एसईसीएल के खदानों में सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए खदानों के चारों ओर लगभक 100 फीट के गड्ढे खोदे गए हैं ताकि खदानों में अनाधिकृत प्रवेश को रोका जा सके । वायरल वीडियो में जितनी आसानी से लोगों के द्वारा कोयले को निकालते हुए देखा जा सकता है कोरबा जिले में संचालित खदानों में यह संभव प्रतीत नहीं होता ऐसे में सैकड़ों ग्रामीण और बच्चों की भीड़ खदानों में केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती के बावजूद कैसे उतर गए यह भी अपने आप में सवाल है।
उल्लेखनीय है छत्तीसगढ़ में रायगढ़, कोरबा, कोरिया, विश्रामपुर, और बैकुंठपुर में कोयला की खदानें हैं लेकिन किसी खदानों में लेबरों के द्वारा लोडिंग नहीं किया जाता छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्य झारखंड के धनबाद में लेबरों के द्वारा लोडिंग किया जाता है। भ्रामक वीडियो वायरल कर प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन के कर्तव्य आचरण को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है ?