कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) अजय राय : भस्मासुर नामक राक्षक के तांडव की तरह अब एनटीपीसी और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत् उत्पादन कंपनी कोरबा पश्चिम आवासीय परिसर का हाल कुछ ऐसा ही हो चला है।
जैसे वरदान भी अभिशाप बन जाता है ठीक वैसे ही प्रकृति से छेड़छाड़ और विज्ञान भी अभिशाप बनता है। बिजली उत्पादन में रिकॉर्ड बनाने वाला एनटीपीसी प्रबंधन और राज्य विधुत कंपनी का एचटीपीपी संयंत्र अब राखड उत्पादन में भी अव्वल बन चुका है।हल्के हवा के झोंके से राख से भरी आंधी सीधे एचटीपीपी और एनटीपीसी आवासीय परिसर की ओर रुख करती है।आलम यह है की राख की 3 से 5 मिलीमीटर तक की चादर चारो ओर फैल जाती है।पेड़ पौधे, गाड़ियां,कपड़े ,मैदान सड़क चारो ओर राख ही राख एक खतरनाक भविष्य की ओर ईशारा कर रही है।इसे जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता कहें या पर्यावरण संरक्षण मंडल की आंखों का बंद होना जो इस खतरे तो नजर अंदाज कर रहे है।वही दूसरी ओर नौकरी की मजबूरी की वजह से एनटीपीसी, और एचटीपीपी के आवास में रह रहे कर्मचारी और अधिकारी असहाय होकर चुप्पी साधे हुए है।अब देखने वाली बात होगी की क्या समय रहते राज्य विधुत कंपनी और एनटीपीसी प्रबंधन राख निपटारे को लेकर क्या तरकीब अख्तियार करता है।