कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़)/साकेत वर्मा;- आज विजय कारगिल दिवस के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी कोसा बाड़ी मंडल के कार्यकर्ताओं द्वारा सुभाष चौक में स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर सांकेतिक रूप से उन समस्त वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई व् उनके शौर्य को मनाया गया जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी व् जिन्होंने इस युद्ध में भाग लिया इस अवसर पर देवेंद्र पांडे, भगवती अग्रवाल , प्रकाश अग्रवाल , राजेश सोनी ,चंदन सिंह ,रितेश साहू , दिनेश वैष्णव , हरण राठौर , जनक राम साहू , एनडी साहू , गुलजार सिंह , निखिल शर्मा श्रीमती सुमन सोनी , सूर्या वर्मा , धर्मेंद्र सिंह के साथ मंडल के अध्यक्ष अजय विश्वकर्मा उपस्थित रहे , देवेंद्र पाण्डेय ने बताया की 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा। इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी। प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर किया गया है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 550 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे ।