

कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : कोरबा की महिलाओं द्वारा वट सावित्री व्रत का पूजन बुधवार 10 मई को विधि-विधान से किया गया। आज के दिन नगर की सुहागिनें 16 श्रृंगार करके उपवास रहकर बरगद के पेड़ की पूजा कर चारों ओर इस दिन फेरें लगाती हैं ताकि उनके पति दीर्घायु हो। भारतीय धर्म में वट सावित्री पूजा स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है। जिसे करने से हमेशा अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीष प्राप्त होता है।
हिन्दु मान्यता है कि इसी दिन मां सावित्री ने यमराज के फंदे से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। कथाओं के अनुसार जब यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे तब सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी। यमराज ने सावित्री को ऐसा करने से रोकने के लिए तीन वरदान दिये।
एक वरदान में सावित्री ने मांगा कि वह सौ पुत्रों की माता बने। यमराज ने ऐसा ही होगा कह दिया। इसके बाद सावित्री ने यमराज से कहा कि मैं पतिव्रता स्त्री हूं और बिना पति के संतान कैसे संभव है। सावित्री की बात सुनकर यमराज को अपनी भूल समझ में आ गयी कि वह गलती से सत्यवान के प्राण वापस करने का वरदान दे चुके हैं। इसके बाद यमराज ने चने के रूप में सत्यवान के प्राण सावित्री को सौंप दिये।
सावित्री चने को लेकर सत्यवान के शव के पास आयी और चने को मुंह में रखकर सत्यवान के मुंह में फूंक दिया। इससे सत्यवान जीवित हो गया इसलिए वट सावित्री व्रत में चने का प्रसाद चढ़ाने का नियम है. जब सावित्री पति के प्राण को यमराज के फंदे से छुड़ाने के लिए यमराज के पीछे जा रही थी उस समय वट वृक्ष ने सत्यवान के शव की देख-रेख की थी। पति के प्राण लेकर वापस लौटने पर सावित्री ने वट वृक्ष का आभार व्यक्त करने के लिए उसकी परिक्रमा की इसलिए वट सावित्री व्रत में वृक्ष की परिक्रमा किया जाता है।
सुहागन स्त्रियां वट सावित्री व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करके सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, आम फल और मिठाई से वट वृक्ष की पूजा कर सावित्री, सत्यवान और यमराज की कथा श्रवण कर पूजा करने पश्चात ब्राह्मण देव को दक्षिणा आदि सामग्री दान करते है। वट वृक्ष की जड़ को दूध और जल से सींचते है।
इसके बाद कच्चे सूत को हल्दी में रंगकर वट वृक्ष में लपेटते हुए कम से कम तीन बार, 5 बार, 8 बार, 11 बार, 21 बार, 51, 108 जितनी परिक्रमा कर सके करने का नियम है। वट वृक्ष का पत्ता बालों में लगाकर पूजा के बाद वटवृक्ष से सावित्री और यमराज से पति की लंबी आयु एवं संतान हेतू कामना करती है, बट सावित्री के अवसर पर नगर की सुहागीन महिलाओं ने बरगद के वृक्षों की पूजा अर्चना व फेरा लगाकर पति के दीर्घायु की कामना की।
