कोरबा जिले में मुंबई का सट्टा मटका का खेल जोरों पर

कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : कबाड़, कोयला और डीजल चोरी जैसे गोरखधंधों के बाद अब जिले में सट्टा-पट्टी और मटका का अवैध कारोबार पांव पसार रहा है. जिले में संचालित सट्टे का मुंबई-गोवा कनेक्शन होने की भी चर्चा है. खासतौर पर शहरी इलाके में बड़े पैमाने पर सटोरिये सक्रिय हैं. हालांकि कुछ दिन पहले ही कोतवाली पुलिस ने इस संबंध में छिटपुट कार्रवाई भी की है. लेकिन मुख्य सट्टा या मटका खाईवाल अब भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं. जिसके कारण शहर में हर दिन बड़े पैमाने पर यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है.

कोतवाली पुलिस कर रही कार्रवाई

मोबाइल एप से जारी होते हैं लकी नंबर

मटका का नंबर बाकायदा गूगल प्ले स्टोर पर ‘कल्याण” नामक एप पर जारी किए जाते हैं. इसमें कल्याण, कल्याण नाइट, राजधानी नाइट, मेन रतन, मिलन डे नाम से अलग-अलग समय के मुताबिक लकी नंबर जारी किए जाते हैं. सटोरिए दिनभर इसके नंबर लेने के लिए सक्रिय रहते हैं. बताया जाता है कि यह नंबर मुंबई से जारी होते हैं. गोवा से जारी होने वाले नंबरों का सट्टा भी जिले में खिलाया जा रहा है.

1 रुपये का दांव और 9 का इनाम

मटका खेलने के लिए खिलाड़ी जो कोई भी आम व्यक्ति हो सकता है, वह बुकी के माध्यम से 0 से 9 अंकों के बीच के कोई एक नंबर चुनते हैं. चुने हुए नंबर बुकी के माध्यम से खाईवाल तक पहुंचते हैं. इसके एवज में मटके का नंबर यदि चुने हुए नंबर से मैच कर गया तो 1 रुपये का दांव लगाने वाले व्यक्ति को 9 रुपये का भुगतान किया जाता है.

मुंबई और गोवा में बैठे मुख्य सरगना से भी पैंठ

इसी तरह जोड़े में नंबर लगाने पर 1 रुपये का दांव के लिए 90 रुपये तक का भुगतान किया जाता है. लोगों से इन अंकों पर गेम कलेक्ट कर खाईवाल तक पहुंचाने के लिए बुकी को 10% का कमीशन मिलता है. जबकि खाईवाल इन नंबरों के एवज में लकी ड्रा जीतने वाले व्यक्ति को लॉटरी के ईनाम का भुगतान करते हैं. खाईवालों की मुंबई और गोवा में बैठे मुख्य सरगना से भी पैंठ रहती है.

इन इलाकों में सक्रिय हैं बुकी और सटोरिये

सट्टा और मटका का अवैध कारोबार कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मानिकपुर, मुड़ापार संजय नगर, डीडीएम रोड सहित टीपी नगर क्षेत्र में संचालित है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस कार्य को संचालित करने के लिए एक विधिवत कार्यालय भी है. जहां मुख्य खाईवाल मौजूद रहते हैं. यहीं से सट्टा और मटका के पूरे कारोबार को हैंडल किया जाता है. फिलहाल यह कारोबार शहरी क्षेत्र तक सीमित है, लेकिन अब उपनगरीय क्षेत्रों तक भी पुराने सटोरिए सक्रिय होने लगे हैं, जोकि इस कारोबार पर अपना सिक्का जमाना चाहते हैं.

बच्चों और महिलाओं पर भी असर

सट्टा और मटका का कारोबार संगठित तौर पर संचालित हो रहा है. कारण चाहे जो भी हो पुलिस की नाक के नीचे यह कारोबार लगातार अपने पाव पसार रहा है. इसका असर बच्चों और महिलाओं पर भी पड़ रहा है. बच्चों के साथ महिलाएं भी ईनाम में मिलने वाली रकम की लालच में आकर इसमें सम्मिलित हो रही हैं.