कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : बारिश का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे दिनों में सर्पदंश की घटनाओं में भी तेजी आई है। इससे निपटने के लिए जिले का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तैयार है। जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण अंचलों की सीएचसी और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर पर्याप्त एंटी वेनम उपलब्ध है। जिला कलेक्टर रानू साहू ने जिला पंचायत स्तर से सभी ग्राम पंचायतों में मुनादी के जरिये निर्देशित किया है कि कोरबा जिले का अधिकांश हिस्सा वनांचल क्षेत्र में आता है। यहां निवासरत ग्रामीण बारिश के मौसम में जमीन पर न सोये और सर्प दंश से पीड़ित मरीज को तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। तथा लोगों से अपील की है कि सर्प दंश पीड़ित को झाड़फूंक के चक्कर में न ले जाएं। झाड़फूंक से निराशा होने पर मरीज उपचार कराने के लिए अस्पताल पहुंचता है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
जिला अस्पताल के साथ ब्लॉक सीएचसी सहित ज्यादा सरकारी अस्पतालों के आंकड़े देखें तो जिले में सर्पदंश से हर साल सबसे अधिक मौतें होती हैं। इसमें 60 फीसदी मौत का एक कारण सर्पदंश की घटना में लापरवाही भी है। दरअसल सर्पदंश की घटना के बाद जागरूक लोग तो मरीज को अस्पताल लेकर पहुंचते है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश लोग झाड़फूंक में अपनी आस्था रखते हैं। इसके पीछे मुख्य कारण इनकी जागरुकता का अभाव और अंधविश्वास का परचम है। लोग सर्पदंश होने पर झाड़फूंक कराने के लिए कुछ सिद्ध स्थानों पर जाते हैं।
कटघोरा खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ रुद्रपाल सिंह कंवर का कहना है कि सर्पदंश का शिकार व्यक्ति का यदि समय से इलाज पा जाए तो उसकी जान बचने की संभावना अधिक होती है। वर्तमान में जिले के कटघोरा, पोंडी उपरोड़ा,पाली, पसान, करतला, रामपुर का क्षेत्र वनांचल हैं। इससे इन क्षेत्रों में सर्पदंश की घटनाएं ज्यादा होती हैं। बारिश की सुरुआत मैं इस माह सर्पदंश के मामले अभी तो सामने नही आये हैं, उन्होंने कहा कि लोग झाड़फूंक में पड़े मरीज के सबसे पहले नजदीकी स्वस्थ केंद्र लेकर पहुंचे जिससे मरीज की समय पर जान बचाई जा सके।