कोरबा : चैतुरगढ महिषासुर मर्दिनी में चैत्र नवरात्र में भक्तों की लग रही भीड़.


कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : जिले के पाली ब्लॉक का चैतुरगढ़ पहाड़ी एवं अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है।कोरबा शहर से चैतुरगढ़ (लाफागढ़) करीब लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित है। यह पाली से 40 किलोमीटर दूर चैतुरगढ महिषासुर मर्दिनी ऊंच पहाड़ो में स्थित है यही वजह है कि इस स्थान को छत्तीसगढ़ का कश्मीर कहा जाता है,उक्त पहाड़ी में आदि शक्ति मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर स्थित है जहां वर्ष भर भक्तों का तांता माता के दर्शन हेतु लगा रहता है, पाली लाफा में इस वर्ष भी माँ महिसासुर मर्दिनी माँ महामाया चैतुरगढ में चैत्र नवरात्रि पर्व पर भक्तजनो के लग रही है भीड़ ,माता के दर्शन के लिए बच्चे बूढ़े सियान ऊंची पहाड़ चढ़ कर चैतुरगढ में महिसासुर मर्दिनी मां महामाया के दर्शन कर अपने मनोकामना मांग रहे हैं रोजाना समिति के द्वारा श्रद्धालुओ को भंडारा कराया जा रहा हैं ,श्रद्धालुओ ने अपना मनोकामना ज्योति कलश जलया गया है।।

चैत नवरात्रि में जहां पूरे भारत देश में भक्तिमय माहौल है, नवरात्रि में पूरे भक्तों का जत्था देवी मंदिरों में अपना माथा टेकने पहुंचते हैं ,पुराणों के अनुसार कहा जाता है ,कि देवी की महिमा अपार है, और यह दुर्गम पहाड़ियों में विराजमान होती हैं, आज हम आपको ऐसे ही दुर्गम और कई पहाड़ श्रृंखलाओं के बीच में विराजित माता. महिषासुर मर्दिनी चैतुरगढ़ के दर्शन करने जा रहे हैं…………. 

कोरबा शहर से चैतुरगढ़ (लाफागढ़) करीब लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित है। यह पाली से 40 किलोमीटर उत्तर की ओर समुद्र तल से 3060 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है, इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि  मंदिर निर्माण के संबंध में पूर्ण जानकारी अभी तक किसी को नहीं है परंतु यहां के वास्तुकला के हिसाब से भोपाल बैरागढ़ के वास्तु कला से मेल खाती है जिसको छठी छठी शताब्दी में शिवपुर के महाराजा बाल अर्जुन गुप्त वंश की शाखा राज्य बैरागढ़ से संबलपुर महानगर शिवपुर की महारानी के द्वारा गजटेड के अनुसार पाली के शिव मंदिर का निर्माण किया गया था जो लगभग 500 ईसवी छठी शताब्दी लगभग 1600वर्ष के पूर्व की है, पुरातत्वविदों ने इसे मजबूत प्राकृतिक किलो में शामिल किया गया है, चूंकि यह चारों ओर से मजबूत प्राकृतिक दीवारों से संरक्षित है केवल कुछ स्थानों पर उच्च दीवारों का निर्माण किया गया है।किले के तीन मुख्य प्रवेश द्वार हैं जो मेनका, हुमकारा और सिम्हाद्वार नाम से जाना जाता है।

पहाड़ी के शीर्ष पर 5 वर्ग मीटर का एक समतल क्षेत्र है, जहां पांच तालाब हैं इनमें से तीन तालाब में पानी भरा है। नवरात्रि पर्व में  यहां श्रद्धालुओं का जत्था  पूरे  प्रदेश के साथ-साथ  पड़ोसी राज्यों के श्रद्धालु भी  दर्शन करने पहुंचते हैं, और यहां मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित करते हैं यहां प्रसिद्ध महिषासुर मर्दिनी मंदिर स्थित है। महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति, 18 हाथों की मूर्ति, गर्भगृह में स्थापित होती है। मंदिर से 3 किमी दूर शंकर की गुफा स्थित है। यह गुफा जो एक सुरंग की तरह है, 25 फीट लंबा है। सच्चे मन से जाने वाले ही गुफा के अंदर जा सकता है क्योंकि यह व्यास में बहुत कम है।

चित्तौड़गढ़ की पहाड़ी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं और यह रोमांचक एह्साह का अनुभव प्रदान करती है।कई प्रकार के जंगली जानवर और पक्षी यहां पाए जाते हैं। मंदिर ट्रस्ट ने पर्यटकों के लिए कुछ कमरे भी बनाये।