कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) : शासन के मंशानुरूप प्राथमिक व माध्यमिक स्तर के शासकीय शिक्षण व्यवस्था को मैनुअल से डिजिटलाइज करने की कवायद शुरू हो चुकी है. शासन स्कूल शिक्षा विभाग की यह महत्वकांक्षी कार्ययोजना भी अब अपने अंतिम चरण में है जिसके तहत जल्द ही शासकीय स्कूलों की दीवारों में ब्लैकबोर्ड की जगह हाई टेक्नोलॉजी वाले स्मार्ट प्रोजेक्टर नजर आएंगे. पढ़ाई और सीखने का अनुभव स्कूली बच्चो के अनुरूप होगा जहां अध्यापक के बजाए सवालो का हल खुद स्मार्ट प्रॉजेक्टर के माध्यम से होगा. पहले वीडियो क्लासेस के माध्यम से वीडियो और चित्रों की मदद से पढ़ाई कराई जाती थी लेकिन स्मार्ट प्रोजेक्टर से अब ना सिर्फ पढ़ाई के लिए चलचित्र का इस्तेमाल होगा बाकी थ्री डी एनिमेशन और 360 डिग्री के फुटेज से पूरे अध्यापन कार्य को अधिक प्रभावी रूप दिया जा सकेगा. इसका फायदा स्कूली बच्चो के मानसिक विकास पर नजर आएगा. इंटरनेट की समझ बढ़ेगी, वे सॉफ्टवेयर तकनीकों को ना सिर्फ समझ सकेंगे बल्कि परंपरागत उपायों से अलग अपने समय की बचत कर ज्यादा से ज्यादा एकुजेशनल एक्टिविटी में खुद को व्यस्त रख सकेंगे. इस तरह वे अपने घरेलू स्मार्टफोन का उपयोग दूसरी चीज़ो के बजाए सवालो को हल करने के सरलतम तरीके ढूंढने में करेंगे. शिक्षा विभाग ने बताया कि पहले के पारंपरिक प्रोजेक्टर सिर्फ वीडियो के लिए उपयोग में लाया जाता था जोकि टूडी टेक्नोलॉजी पर आधारित होता था. फिलहाल जो स्मार्ट प्रोजेक्टर लगाया जा रहा है वह काफी हाईटेक होगा. प्रोजेक्टर का फोकस किसी भी दीवाल पर पड़ते ही वो दीवाल बोर्ड काम करेगा वीडियो के बीच में ही शिक्षक मार्कर मैजिक बोर्ड के जैसे ही फोकस एरिया में ड्रॉ कर छात्रों को उसे समझा सकते है शिक्षक द्वारा की गई कवायद न केवल प्रदर्शित होगी बल्कि वो ऑटोमेटिक तरीके से वीडियो में सेव भी होती जाएगी ताकि भविष्य में उसको दुबारा से देखा व समझा जा सकता है। अन्य विषयों से अलग गणित के सवालो का हल ऑटोमेटिक तरीके से होगा. जटिल गणितीय सूत्र किसी कैलकुलेटर की तरह प्रोजेक्टर में इंस्टाल होंगे. इस तरह शिक्षक को ना ही ब्लैक-ग्रीन बोर्ड की जरूरत होगी ना ही चॉक की. सिर्फ सवाल लिखते ही हल सामने होगा जिसे कोई भी छात्र आसानी से अपने एंड्रॉयड फोन पर फिर से रिसिन कर सकेगा. ईसी तरह थ्रीडी एनिमेशन पढ़ाई का अनुभव बदलने वाला होगा. 360 अंश का वीडियो हो या इंटरनेट कनेक्शन. नए प्रोजेक्टर में सारी सुविधाएं होंगी. नया प्रोजेक्टर सीधे हॉटस्पॉट या वाईफाई से कनेक्टेड होगा बिना लैपटॉप के ही इंटरनेट पर मौजूद दुनिया के किसी भी वीडियो का ऑनलाइन इस्तेमाल सम्भव होगा. यह पूरी योजना ना सिर्फ पढ़ाई का बल्कि अध्यापन का अनुभव बदलने वाला होगा बल्कि बोझिल लगने वाले अध्यन-अध्यापन कार्य को रोचक भी बनाएगा।
जिले के 500 स्कूलों में स्मार्ट प्रोजेक्टर की उपलब्धता.
कोरबा जिले के शिक्षा विभाग ने इस बाबत बताया कि स्मार्ट प्रोजेक्टर क्लासेस का यह प्रयोग ना सिर्फ जिले के लिए बल्कि समूचे प्रदेश के लिए बिल्कुल नया और आधुनिक होगा. जिले के करीब 5 सौ प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस का संचालन किया जाएगा. जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार प्रयास यह भी होगा कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में पांच सौ जबकि इसके बाद दूसरे सभी स्कूलों में इस तरह से कक्षाएं संचालित कराई जा सकेगी. शिक्षकों के लिए भी इसका प्रशिक्षण काफी सरल होगा. बताया गया कि फिलहाल जिले के किसी निजी स्कूलों में भी यह सुविधा शुरू नही की जा सकी है.
कोल इंडिया के एसईसीएल का प्रयास हो रहा फलीभूत.
दरअसल एसईसीएल के अंतर्गत संचालित होने वाले स्कूलों में इस तरह के स्मार्ट प्रोजेक्टर को उपयोग में लाया गया था. जिले के शिक्षा विभाग ने भी इस पूरे माध्यम को समझा था. जिला कलेक्टर के माध्यम से जब इस पूरे माध्यम पर रुचि दिखाई गई थी तो एसईसीएल ने भी इस कवायद को आगे बढ़ाते हुए अपनी स्वीकारोक्ति दी थी. एसईसीएल के सेंट्रल मैनेजमेंट ने जब डेमो के माध्यम से जिला प्रशासन के सामने पूरे प्रोग्रामिंग को सामने रखा था तब उन्होंने पहले चरण में कम से कम 5 सौ प्रोजेक्टर के लिए अपनी स्वीकारिता दी है जो ऊर्जाधानी पांच सौ स्कूलों में स्थापित किये जायेंगे.