कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) हिमाशु डिक्सेना :- कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर लोग अब अस्पताल जाने में भी डर रहे है। अस्पताल में कहीं संक्रमण न घेर लें। लोगों की इस चिंता को न्यू कोरबा अस्पताल भी बेहतर समझता है। यहीं वजह है कि प्रबंधन ने कोरोना मरीजों के लिए अलग से कोविड हास्पीटल टॉप एन टाउन होटल को बनाया है। न्यू कोरबा हॉस्पीटल सामान्य मरीजों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। संक्रमण की चेन तोड़ने प्रबंधन ने बचाव के अनेक कदम उठाए है। ऐसे में बेझिझक ओपीडी में मरीज अपना इलाज सुरक्षित ढंग से करा सकते है।
जब मरीज हॉस्पिटल में प्रवेश करता हैं तो मरीज सबसे पहले ओपीडी ( बाह्य रोगी विभाग) पंहुचता हैं। दरअसल यह विभाग मरीज और हॉस्पिटल के कर्मचारियों के बीच संपर्क की पहली स्थिति होती हैं। कोरोना काल में ओपीडी को संक्रमण से सुरक्षित रखना प्रबंधन की प्रथम प्राथमिकता होती है। इसे लेकर शहर के न्यू कोरबा हॉस्पीटल ने कोरोना की चेन तोड़ने पर्याप्त व्यवस्थाएं की है। इससे न केवल यहां ओपीडी संक्रमण से पूर्णत: सुरक्षित है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण और संक्रमण की चैन तोड़ने एनकेएच हॉस्पिटल प्रबंधन ने न केवल लोगों को जागरूक करने बल्कि अपने हॉस्पिटल को संक्रमण से पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लिये ठोस कदम उठाये हैं। प्रबंधन के इन प्रयासों से निश्चित ही कोरोना की चैन तोड़ने में मदद मिलेगी। साथ ही साथ हॉस्पिटल में डॉक्टर, मेडिकल स्टॉफ और इलाज कराने आये मरीज सहज और सुरक्षित रह सकते हैं. बिना किसी डर भय के यहां इलाज किया जा रहा हैं।
प्रबंधन ने जिस प्रकार से हॉस्पिटल में प्रवेश करने और डॉक्टरों तक मरीज के पहुँचने के जो नियम बनाये हैं उसके बाद तो पूरे दावे के साथ कहा जा सकता हैं कि एनकेएच में संक्रमण का प्रवेश हो पाना संभव ही नहीं हैं।
एनकेएच रख रहा मरीजों की सुरक्षा का पूरा ख्याल
यहां हॉस्पिटल प्रबंधन ने सर्वप्रथम अपने सभी मेडिकल स्टाफ की कोविड जांच कराई, रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उन्हें कार्यक्षेत्र में काम करने की अनुमति दी है । इसी तरह से कुछ नियम बनाए गए है कि मरीज के साथ एक ही अटेंडर हॉस्पिटल में आ सकता हैं। हॉस्पिटल में प्रवेश से पहले गेट पर ही ओपीडी के मरीजों से पूरी जानकारी ली जाती हैं. साथ ही टेम्प्रेचर नापने व सेनेटाइज की व्यवस्था की गई हैं वही कोरोना एडवाइजरी की प्रमुख जानकारी भी दी जा रही है। जिसमे सोशल डिस्टेंसिंग मास्क लगाना सामाजिक दूरी बनाये रखना आदि शामिल है । प्रबंधन की इस व्यवस्था को मरीज भी सहजता से पालन कर रहे हैं।
भर्ती होने की स्थिति में ही कोरोना जांच
मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में ही मरीज का कोरोना टेस्ट कराया जाता है । जिससे क्रमबद्ध और सुरक्षित ढंग से इलाज किया जा सके । डॉक्टर्स के चेंबर को संक्रमण रहित रखने हेतु एयर प्यूरीफायर लगाया गया है । मरीज और डॉक्टर्स के संवाद के लिए चेंबर में प्लास्टिक के परदे लगवाए गए है जिससे मरीज और डॉक्टर्स के बीच संक्रमण न फैले । इसके आलावा अस्पताल प्रबंधन द्वारा संक्रमण की रोक थाम के लिए ओपीडी एरिया को दिन में दो बार सेनेटाइज कराया जाता है । वही पुरानी फाइलों को सावधानी पूर्वक युवीस्टेरिलिज़ेर किये जाने के पश्चात् ही इस्तेमाल में लाया जाता है । आईपीडी भर्ती होने वाले मरीज का हॉस्पिटल के समीप बाहर बने रूम में कोविड टेस्ट किया जाता है। पॉजिटिव आने की स्थिति में कोविड हॉस्पिटल में भर्ती किया जाता है। नेगेटिव होने पर हॉस्पिटल में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है.कोरोना टेस्ट अगर निगेटिव हो और मरीज को कोरोना के लक्षण हो तो डाउटफुल मरीजो को अलग से बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया जाता हैं।
संक्रमण की चेन तोड़ने की कवायद
एनकेएच के डायरेक्टर एस. चंदानी ने बताया कि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने की कवायद में एनकेएच जुटा हुआ है। सात दिनों तक अस्पताल की ओपीडी सेवा बंद रख कर फोन पर नि:शुल्क परामर्श सेवा देने के बाद अब कोरोना से बचाव के और अधिक उपायों और संसाधनों के साथ मरीजों के सुरक्षित इलाज के लिए एनकेएच तैयार है।
कोरोना से बचाव के उपाय अपनाते हुए अस्पताल के बाहर टेस्टिंग रूम का निर्माण कराया है। ओपीडी को पूरी तरह से संक्रमण मुक्त करने कई कदम उठाए गए है। ओपीडी के मरीजों को कोविड जांच की जरूरत नहीं है। यहां अस्पताल में भर्ती होने वाले हर मरीज का टेस्ट किया जाएगा। टेस्ट निगेटिव मिलने पर ही अस्पताल में भर्ती ली जाएगी।