केंद्र सरकार के बनाए गए नए कृषि कानूनों पर छत्तीसगढ़ राज्य की सहमती बनती नहीं दिख रही है. गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है.

रायपुर (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) हिमांशु डिक्सेना : छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने केंद्रीय कृषि बिल और श्रम कानून को राज्य में लागू होने से रोकने के लिए नया कानून बना सकती है. वहीं शीतकालीन सत्र के पहले यदि केंद्र की ओर से इन कानूनों को लागू करने का दबाव आया तो राज्य सरकार विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला सकती है. गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि सरकार इस बिल के हर पहलू पर विचार विमर्श कर रही है. यदि आवश्यकता पड़ी तो विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है.

बुलाया जा सकता है विधानसभा का विशेष सत्र

ताम्रध्वज साहू ने साफ कहा है कि केंद्र सरकार के बनाए गए कृषि बिल से किसानों सहित आम लोग भी प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि इस बिल के लागू होने के बाद किसान को खाद बीज सहित दवाई उद्योगपति घरानों से लेना पड़ेगा. ऐसे में किसानों को धान समर्थन मूल्य जो राज्य सरकार दे रही थी वह नहीं दे पाएगी. यदि राज्य सरकार समर्थन मूल्य पर किसानों से धान नहीं लेगी, तो इससे किसानों की माली हालत खराब हो जाएगी. यही कारण है कि राज्य सरकार इस कृषि विल को प्रदेश में लागू करने और लेकर सहमत नहीं है. इस बिल के विभिन्न पहलुओं का परीक्षण किया जा रहा है. इसके बाद यदि जरूरत पड़ी तो कृषि बिल को लेकर सरकार विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला सकती है.

बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले ही साफ कर दिया है कि छत्तीसगढ़ में कृषि कानून को लागू नहीं किया जाएगा. इसके लिए चाहे फिर उन्हें आंदोलन का सहारा लेना हो या फिर कानूनी मदद. उन पहलुओं पर सरकार विचार कर रही है. अब इस कृषि कानून को रोकने के लिए सरकार जल्द विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर भी विचार कर सकती है.