कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़):-मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,छत्तीसगढ़ किसान सभा,जनवादी महिला समिति और ट्रेड यूनियन के संयुक्त आह्वान पर कृषि विरोधी कानून के खिलाफ भारत बंद के समर्थन में कुसमुंडा में 4 घंटे किया गया चक्काजाम
भारत बंद के आह्वान पर मोदी सरकार द्वारा बनाये गए किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था सुनिश्चित करने, खाद्यान्न आत्मनिर्भरता और ग्रामीण जनता की आजीविका बचाने की मांग पर आज कुसमुंडा मुख्य सड़क पर सैकड़ो किसानों मजदूरों ने 11 बजे से 3 बजे तक 4 घंटे चक्काजाम किया और मोदी सरकार के काले कानूनों और कॉर्पोरेटपरस्त कानूनों को निरस्त करने की मांग की।आज 500 से अधिक किसान संगठनों द्वारा “कॉर्पोरेट भगाओ – खेती-किसानी बचाओ – देश बचाओ” के केंद्रीय नारे पर देशव्यापी भारत बंद का आह्वान किया गया था। भारत बंद कराने आज वामपंथी पार्टि माकपा भाकपा, किसान सभा,महिला समिति,सीटू, एटक के कार्यकर्ता इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए आज सड़कों पर उतरे। चक्काजाम में माकपा के प्रदेश सचिव संजय पराते, एटक के प्रदेश महासचिव हरिनाथ सिंह भी प्रमुख रूप से शामिल हुए।
चक्काजाम को माकपा प्रदेश सचिव संजय पराते,एटक महासचिव हरिनाथ सिंह के साथ माकपा जिला सचिव प्रशांत झा,भाकपा जिला सचिव एम एल रजक के अलावा वी.एम.मनोहर, जनक दास,मदन सिंह, जवाहर सिंह कंवर, प्रताप दास, नंदलाल कंवर,राजकुमारी कंवर, सुरती कुलदीप,धनबाई कुलदीप,अभिजीत,दीपक साहू हुसैन संजय यादव ने संबोधित किया ।
आन्दोलनकारी नेताओं ने कहा की इस देशव्यापी आंदोलन से स्पष्ट है कि आम जनता की नजरों में इन कानूनों की कोई वैधता नहीं है और इन्हें निरस्त किया जाना चाहिए।
आंदोलन की सफलता का दावा करते हुए नेताओं ने आरोप लगाया कि इन कॉर्पोरेटपरस्त और कृषि विरोधी कानूनों का असली मकसद न्यूनतम समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था से छुटकारा पाना है। कृषि व्यापार के क्षेत्र में मंडी कानून के निष्प्रभावी होने और निजी मंडियों के खुलने से देश के किसान समर्थन मूल्य से वंचित हो गए हैं। चूंकि ये कानून किसानों की फसल को मंडियों से बाहर समर्थन मूल्य से कम कीमत पर खरीदने की कृषि-व्यापार करने वाली कंपनियों, व्यापारियों और उनके दलालों को छूट देते हैं और किसी भी विवाद में किसान के कोर्ट में जाने के अधिकार पर प्रतिबंध लगाते हैं, इसलिए ये किसानों, ग्रामीण गरीबों और आम जनता की बर्बादी का कानून है।
चक्काजाम से पहले सुबह से ही माकपा कार्यकर्ता बांकी मोंगरा भैरोताल कि मार्केट को बंद करने निकले जिसमें व्यपारियों ने भी प्रतिष्ठानों को बंद कर आंदोलन का समर्थन किया।