कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन, पंडरिया कांग्रेस अध्यक्ष ने संभाला मोर्चा..

कवर्धा( सेंट्रल छत्तीसगढ़) : जिले में कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है. पंडरिया कांग्रेस अध्यक्ष डटेपंडरिया के नेतृत्व में किसानों ने महारैली निकाली. किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज बुलुंद की. किसानों का मानना है कि यह कानून किसानों के हित में नहीं है. इसके विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. पंडरिया के कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कौशल चंद्राकर भी किसानों के समर्थन में डटे हुए हैं.

क्या है कृषि कानून

  • पहला – बिल कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020. इसे ‘एक राष्ट्र एक बाज़ार’ का क़ानून कहा जा रहा है. अंग्रेजी में इसे APM कहते हैं.
  • दूसरा – कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020. कानून के जरिए किसानों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की ओर आकर्षित करने की कोशिश है.
  • तीसरा – आवश्यक वस्तु (संशोधक) विधेयक 2020. इस कानून के तहत आपदा एवं युद्ध काल के अलावा खाद्यान्न भंडारण की सीमा खत्म की जा रही है.

पहला,’कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020′.

इसमें केंद्र सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है. किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे.

दूसरा, ‘कृषक (सशक्‍तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020’

इस विधेयक में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है. जिससे किसानों को अपने उत्पाद बेचने की आजादी मिलेगी. इस प्रावधान के जरिए अपनी फसल का करार किसी से भी कर सकेगा.

तीसरा, ‘आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020’

इस बिल में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज आलू को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है. सरकार का कहना है कि विधेयक के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी.

संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े कानूनों में बदलाव किया था. इसके तहत कृषि उपज की खरीद बिक्री के लिए मंडी जाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई. व्यापारियों के लिए स्टॉक सीमा खत्म कर दी गई और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के प्रावधान किए गए. कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों में नया कानून बनाने का सुझाव दिया था.