कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):- कोरबा जिले में इस वर्ष एक लाख 31 हजार 300 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की खेती की जायेगी। पिछले वर्ष एक लाख 29 हजार 055 हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती की गई थी। गत वर्ष की तुलना में इस खरीफ सीजन में दो हजार 245 हेक्टेयर के रकबे में बढ़ोत्तरी होगी। राज्य शासन की मंशा अनुसार किसानों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए धान के रकबे में कमी की जायेगी और दलहन-तिलहन फसलों का रकबा बढ़ाया जायेगा। इस वर्ष 13 हजार 250 हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन और तिलहनों की फसलें लगेंगी जोकि पिछले वर्ष से एक हजार 466 हेक्टेयर अधिक होगा। पिछले वर्ष 11 हजार 937 हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन-तिलहनी फसलों की खेती की गई थी। चालू खरीफ मौसम में कोरबा जिले में धान के रकबे में दो हजार 616 हेक्टेयर की कमी कर 95 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल लेना प्रस्तावित है। इसी प्रकार धान, ज्वार, मक्का, कोदो, कुटकी को मिलाकर जिले में चालू खरीफ मौसम में एक लाख पांच हजार 465 हेक्टेयर क्षेत्र में अनाज फसलें ली जायेंगी। इस वर्ष जिले में अनाज फसलों के कुल रकबे में भी लगभग साढ़े छह सौ हेक्टेयर की कमी होगी।
उप संचालक कृषि ने बताया कि कोरबा में चालू खरीफ मौसम में दस हजार 520 हेक्टेयर क्षेत्र में दलहनी और दो हजार 883 हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहनी फसलें लगाई जायेगी। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दलहनी फसलों का रकबा एक हजार 151 हेक्टेयर और तिलहनी फसलों का रकबा लगभग 315 हेक्टेयर बढ़ेगा। जिले में चालू खरीफ मौसम में 12 हजार 432 हेक्टेयर क्षेत्र में सब्जी व अन्य दूसरी फसलें ली जायेगी। उप संचालक ने बताया कि दस हजार 010 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का, 215 हेक्टेयर क्षेत्र में कोदो-कुटकी और 25 हेक्टेयर क्षेत्र में ज्वार की फसल ली जायेगी। उप संचालक ने बताया कि चालू खरीफ मौसम में चार हजार 350 हेक्टेयर क्षेत्र में अरहर, दो हजार 911 हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द, दो हजार 610 हेक्टेयर क्षेत्र में कुल्थी व अन्य फसलें तथा 649 हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की खेती होगी। इसी प्रकार एक हजार 658 हेक्टेयर क्षेत्र में तिल, 810 हेक्टेयर क्षेत्र में रामतिल और 415 हेक्टेयर क्षेत्र में मूंगफली की बोनी की जायेगी। आगामी मानसून को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसल बोने के लिए तैयार रहने की सलाह दी जा रही है। मौसम को देखते हुए आगामी दिनों में खेती-किसानी के काम में तेजी आयेगी और फसलों की बोनी भी शुरू हो जाएगी।