काम आया कलेक्टर का आइडिया: रियल टाईम मॉनिटरिंग ने रोकी कोरोना की रफ्तार संक्रमितों की संख्या और मौत के आंकड़े भी हुए कम


कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़) :- कोरबा जिले में पिछले एक सप्ताह मेँ कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ी है। हर दिन नये संक्रमितों में कमी के साथ पाॅजिटिवीटी दर भी घटी है। इसके साथ ही कोरोना के कारण होने वाली मौतों की संख्या में भी खासी कमी आई है। कोरोना संक्रमण की रफ्तार थामने में कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल के रियल टाईम माॅनिटरिंग आईडिया ने अच्छा परिणाम दिया है। 0पिछले सप्ताह जिले में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण का जिला टास्क फोर्स की बैठक में गंभीरता से विश्लेषण करने पर होम आइसोलेशन के साथ-साथ डाॅक्टरों द्वारा कोविड मरीजों के ईलाज और देखभाल में चूक ने रियल टाईम माॅनिटरिंग सिस्टम शुरू करने पर जोर दिया था। टास्क फोर्स की अनुशंसा पर कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने इस सिस्टम को तैयार कर लागू करने की जिम्मेदारी सहायक कलेक्टर श्री अभिषेक शर्मा और उनकी टीम को सौंपी थी।
आंकड़े
05 मई- संक्रमितों की संख्या-1311, पाॅजिविटी दर-35, प्रतिशत, ईलाज के दौरान मृत्यु-18
12 मई- संक्रमितों की संख्या-663, पाॅजिविटी दर-23, प्रतिशत, ईलाज के दौरान मृत्यु-09
सहायक कलेक्टर श्री शर्मा ने इंटरनेट पर आधारित रियल टाईम माॅनिटरिंग सिस्टम शुरू किया। गूगल सीट के माध्यम से होम आइसोलेशन में रहने वाले एक-एक मरीज की पूरी जानकारी नाम, पता, मोबाईल नंबर आदि रखे गये। मरीजों के स्वास्थ्य की पूरी जानकारी आक्सीजन लेवल, तापमान, कोरोना के लक्षण आदि सभी की जानकारी भी एक प्रपत्र के माध्यम से इस सिस्टम में रखा गया। कोरोना की जांच रिपोर्ट आने के बाद संक्रमित पाए गये मरीजों के मर्ज के हिसाब से उन्हें कोविड अस्पताल, कोविड केयर सेंटर या होम आइसोलेशन में रहकर ईलाज की सुविधा प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई है। गंभीर या 90 से कम आक्सीजन लेवल वाले कोविड मरीजों को तत्काल कोविड अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है, जहां उनका विशेषज्ञ डाॅक्टरों और पेैरा मेडिकल स्टाफ की निगरानी में बेहतर ईलाज हो रहा है।
पाॅजिटिव रिपोर्ट आने के साथ ही होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना का ईलाज कराने वाले मरीजों की देखरेख और निगरानी के लिए जिले के दो सौ से अधिक डाॅक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी जाती है। पहले डाॅक्टरों द्वारा मरीजों से संपर्क में देरी, मरीजों से संपर्क नहीं करने, उन्हें उचित ईलाज और सलाह नहीं देने जैसी चूकें प्रशासन के संज्ञान में आ रही थी। इस कमी से होम आइसोलेशन में रहने वाले कुछ मरीज संक्रमण की गंभीर अवस्था में पहुंच रहे थे और ऐसी स्थिति में कोविड अस्पतालों में भी उनके ईलाज में डाॅक्टरों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही थी। कई गंभीर अवस्था वाले मरीजों का ईलाज के दौरान निधन भी हो रहा था। होम आइसोलेशन के दौरान मरीजों और उनके परिजनों द्वारा निर्धारित प्रोटोकाॅल का उल्लंघन करने, घर के बाहर लगे स्टिकर को फाड़कर फेकने से लेकर बाहर घूमने जैसी शिकायतें भी प्रशासन को मिल रही थी। इन सब गतिविधियों के कारण भी कोरोना संक्रमण जिले में तेजी से फैल रहा था।
टास्क फोर्स द्वारा विश्लेषण के दौरान होम आइसोलेशन के मरीजों की तगड़ी निगरानी और मरीजों को आबंटित डाॅक्टरों की माॅनिटरिंग की आवश्यकता महसूस की गई और कलेक्टर के आईडिया पर रियल टाईम माॅनिटरिंग सिस्टम विकसित किया गया। इस सिस्टम में सभी डाॅक्टर मरीजों के बारे में पूरी जानकारी चैबीस घंटे भर सकते हैं। साथ ही उसकी माॅनिटरिंग जिला स्तर पर कलेक्टोरेट कार्यालय में स्थापित कंट्रोल रूम द्वारा चैबीस घंटे की जा रही है। इंटरनेट आधारित गूगल सीट पर बने इस किफायती और प्रभावी माॅनिटरिंग सिस्टम का लिंक मरीजों को आंबटित हर एक डाॅक्टर को उनके मोबाईल नंबर पर शेयर किया गया हेै। मरीज के आबंटन के साथ ही डाक्टर को मरीज के विषय मंे पूरी जानकारी भरनी होती है। इसके बाद डाॅक्टर दिन में कम से कम एक बार मरीज से फोन पर संपर्क कर उनकी तबियत की जानकारी लेते हैं और उसे इस सिस्टम पर मोबाईल के माध्यम से अपडेट करते हैं। डाॅक्टर मरीजों से उनके आक्सीजन लेवल, तापमान, खांसी-सर्दी, श्वांस लेने में तकलीफ से लेकर अन्य स्वास्थ्यगत परेशानियों की पूरी जानकारी लेते हैं। मरीज द्वारा दवाईयां सेवन की जानकारी भी इस सिस्टम में फीड की जाती हेै। डाॅक्टर इस सिस्टम पर मरीज के गंभीर होने पर उसे कोविड अस्पताल मंे भर्ती करने की जरूरत की जानकारी भी देते हैं। इस पूरे सिस्टम की 24 घंटे सातो दिन आॅनलाईन माॅनिटरिंग कलेक्टोरेट के कक्ष क्रमांक 32 में स्थापित कंट्रोल रूम से होती है और कंट्रोल रूम द्वारा आवश्यकता अनुसार सिस्टम पर मिली जानकारी पर कार्यवाही कर ऐसे मरीजों को तत्काल रेपिड रिस्पांस टीम द्वारा अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। ऐसे मरीज जो गंभीर होने पर भी कोविड अस्पताल में भर्ती होने से मना करते हैं, उनकी जानकारी भी इस सिस्टम में भरी जाती है। ऐसे सभी मरीजों की जानकारी तत्काल अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को दी जाती है और प्रशासन की टीम द्वारा मरीजों को कोविड अस्पतालों तक पहुंचाया जाता है।
इस रियल टाईम माॅनिटरिंग सिस्टम के विकसित हो जाने से मरीजों को आबंटित डाॅक्टरों की जिम्मेदारी बढ़ी है। दिन में कम से कम एक बार डाॅक्टर मरीजों से फोन कर उनकी तबियत के बारे में पूछ रहे हैं। ऐसे डाॅक्टर जो दिन में एक बार भी मरीज से संपर्क नहीं कर पाते उनकी इस सिस्टम में इंट्री शून्य प्रदर्शित होती है और लाल रंग मार्किंग कर ऐसे डाक्टरों से सीधे प्रशासन के अधिकारी फोन कर जवाब-तलब करते हैं। जिला प्रशासन ने होम आइसोलेशन की माॅनिटरिंग के लिए जिला पंचायत परिसर में अलग से कंट्रोल रूम भी स्थापित किया हेै। जिस पर 10 टेलीफोन रखे गये हैं। चैबीस घंटे कार्यशील इस कंट्रोल रूम के फोन नंबर 07759-222720, 222721, 222722, 222723, 222724, 222725, 222726, 222727, 222728 और 222729 हैं। इसके साथ ही प्रशासन द्वारा होम आइसोलेशन के उल्लंघन की जानकारी प्राप्त करने के लिए वाट्सएप नंबर भी जारी किये गये है। वाट्सएप के मोबाईल नंबर 77480-13497, 92852-13024, 95169-12840, 79700-79274, 74404-14943 पर वाट्सएप पर मैसेज कर या छोटा वीडियो शेयर कर होमआइसोलेशन उल्लंघन की जानकारी प्रशासन को दी जा सकती है।