बिलासपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़) : बिलासपुर कानन पेंडारी जू में बाघिन की मौत हो गई. घटना की वजह कानन प्रबंधन ने बीती रात बाघ-बाघिन के बीच हुई आपसी संघर्ष को बताया है. लेकिन मामला कुछ अलग ही नजर आ रहा है. प्रबंधन ने बाघ-बाघिन की लड़ाई को मौत का कारण बताया है. प्रबंधन ने बताया कि बाघ-बाघिन को अगल-बगल के इनक्लोजर में रखा गया था. दोनों इनक्लोजर के बीच एक गेट है, जिसमें ताला लगा था, जिसे नर बाघ भैरव ने झटका देकर तोड़ दिया और अंदर घुस कर बाघिन चेरी को मार दिया
मौत की वजह कहीं बाघ की भूख तो नहीं: प्रबंधन बाघिन की मौत को भले ही सामान्य तौर पर दोनों की आपसी संघर्ष को बता रहा है. लेकिन मामला इतना सीधा नहीं है. बल्कि कुछ और प्रतीत होता है. 3 साल का बाग इतना आक्रमक हो गया कि वह इतने मोटे लोहे के गेट में लगे बड़े ताले को तोड़ दिया और अंदर घुसकर बाघिन के गले में हमला कर उसे मार दिया. इसके बाद बाघ भैरव ने मादा बाघ चेरी के पिछली रांग को नोच-नोच कर खाया. कहीं बाघिन चेरी पर यह हमला बाघ भैरव की भूख का नतीजा तो नहीं. कहीं ये भूख ने हत्या करने पर बाघ को मजबूर तो नहीं किया. जानवर तभी हमला करता है जब उसे भूख लगती है. बाघ का हमला और बाघिन को नोच-नोच कर खाना मामले से जुड़े कई सवालों को जन्म दे
पर्यटको के लिए कहीं खतरा न बन जाए बाघ भैरवः बाघ भैरव को दिन में ओपन केज में रखा जाता है और पर्यटक इसे देखते हैं. बाघ भैरव को जिस केज में रखा गया है. वह काफी दूर है लेकिन पर्यटक जिस ओर खड़े होते हैं, उससे केज की दूरी ज्यादा नहीं है. प्रबंधन ने सुरक्षा के नाम पर पर्यटकों की ओर केज के अंदर 20 फीट से भी नीचे तलाब नुमा गड्ढा बना दिया है.क्या यह सुरक्षा के दायरे में पर्यटकों को सुरक्षित रख पाएगा? कहीं हमलावर बाघ भैरव पर्यटकों के लिए खतरा तो नहीं बन जाएगा? क्या संभव नहीं है कि भूख लगने पर बाग केज से पर्यटकों की तरफ उछाल लगाए और रोड पर आ जाए? इन सब पहलुओं पर यदि कानन प्रबंधन ध्यान नहीं दिया तो भैरव किसी ना किसी दिन पर्यटकों के लिए खतरा भी बन सकता है.
2 महीने में 6 वन्य जीवों की मौत: बिलासपुर के कानन पेंडारी मिनी जू में बाघिन चेरी की मौत हो गई. जू प्रबंधन के मुताबिक बाघिन चेरी के बाजू के केज में रहने वाले बाघ भैरव ने उसके केज का दरवाजा तोड़ दिया और दोनों के बीच हुए संघर्ष में बाघिन की मौत हो गई. इधर जानकारों का कहना है कि रोलिंग दरवाजे के आसानी से खुलने की संभावना नहीं के बराबर है. जू में फैली अव्यवस्थाओं के चलते 3 साल में दो बाघिन, तीन मादा हिप्पोपोटामस सहित 56 वन्यप्राणियों की मौत हो चुकी है. अब कानन में सिर्फ 5 बाघ-बाघिन ही बचे हैं. जू प्रबन्धन को वन्य प्राणियों की सुरक्षा का ध्यान नहीं होना उनकी जान पर बन आई है.
कानन पेंडारी मिनी जू में साल 2011 में नागपुर के महाराजा बाग जू से लाई गई. बाघिन चेरी की मौत हो गई. बाघिन चेरी ने कानन में बच्चे भी दिए 2018 में बाघ विजय के साथ चेरी का आखिरी मेटिंग हुआ था. तब उसने 3 बच्चों को जन्म दिया. उसके बाद से ही कानन में ब्रिडिंग बंद कर दिया गया है. जिसके कारण ऐसे संघर्ष होने की बात कही ज
अधिकारियों के मुताबिक 3 साल के नर बाघ भैरव ने केज का रोलिंग दरवाजा तोड़ा और 13 साल की उम्रदराज बाघिन पर टूट पड़ा. अपने मजबूत जबड़े से उसने चेरी का गला ऐसे पकड़ा कि उसकी श्वांस नली दबकर फट गई और उसकी मौत हो गई. तीन साल पहले कानन में तकरीबन 700 वन्य जीव थे, लेकिन अब 540 वन्य जीव ही बचे हैं. कानन प्रबंधन कभी बीमारी तो कभी उम्रदराज होने को मौत की वजह बताता है. लेकिन वन्य प्राणियों की लगातार मौत उनकी सुरक्षा में चूक तो नहीं. प्रबन्धन को इस दिशा में भी सोचना होगा.