कभी सोंचा नहीं था गोबर के भी मिलेंगे रूपए…गोबर जैसे अपशिष्ट से संग्राहक हो रहे विशिष्ट..


कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़):- कोरबा 28 दिसम्बर 2020/छत्तीसगढ़ ही क्या पूरे देश मंे कभी किसी ने सोंचा नहीं था कि गोबर जैसी चीज भी बिकेगी और उससे भी लोग रूपए कमाएंगे। लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य में गोधन न्याय योजना शुरू कर लोगों की इस अकल्पनीय सोंच को भी साकार कर दिया है। पूरे प्रदेश मंे ग्रामीण क्षेत्रों में बने गौठानों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी गोबर संग्राहक दो रूपए प्रति किलो गोबर बेचकर अतिरिक्त आमदनी कमा रहे हैं और विशेष बात यह है कि यह आमदनी उन्हें लगातार मिल रहीं है। कोरबा जिले में अब तक 13 हजार से अधिक गोबर संग्राहकों ने एक करोड़ पांच लाख 94 हजार किलो से अधिक गोबर दो रूपए प्रति किलो की दर से गौठानों में बेच दिया है और इससे उन्हें करीब दो करोड़ 11 लाख रूपए का मुनाफा मिला है। जिले में गोबर खरीदी के काम में 205 गौठान सक्रिय हैं। सरकार की इस योजना से एक ओर जहां राज्य को जैविक खेती की ओर बढ़ने का ठोस रास्ता मिला है वहीं दूसरी ओर पशुधन की देखभाल, नस्ल और स्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ खेतों में खड़ी फसलों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हुई है। गोबर खरीदी की गोधन न्याय योजना से गोबर जैसे अपशिष्ट से संग्राहक अब अपना जीवन स्तर बेहतर कर रहें हैं और समुदाय में विशिष्टता की तरफ बढ़ रहंे है।
एक ओर जहां ग्रामीण बढ़-चढ़कर गोबर बेचने और लाभ कमाने में भागीदार बन रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिले के शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले गोबर संग्राहक भी गोधन न्याय योजना का लाभ उठाने में पीछे नहीं है। शहरी क्षेत्र के निवासियों के लिए भी गोबर बेचकर अपनी गरीबी मिटाने और अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण करने का भरपूर मौका मिल रहा है। शहरी क्षेत्र के गोबर संग्राहक भी नए मकान बनाने, अधिक मवेशी खरीदने तथा घरेलू जरूरत के सामान लेने की योजना को मूर्त रूप देने में लगे हुए हैं। कोरबा नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत रहने वाली श्रीमती रमा गोबर बेचने से प्राप्त हुए रुपयों से अपना पक्का मकान बनाएगी। पोड़ीबहार बांसबाड़ी की रमा महंत अपने पति गणेश महंत के साथ 12 मवेशियों की देखभाल करतीं हैं। उनके पास छह गाय और छह बछड़े हैं। हर दिन औसतन 35 किलो गोबर पोड़ीबहार के खरीदी केन्द्र में बेचने वाली रमा बताती हैं कि कभी सोचा नहीं था कि गोबर भी बिकेगा। पहले गोबर के कंडे या उपले ही शहरी क्षेत्र में कभी-कभी बिक जाते थे। परंतु रोज गोबर से रूपए मिलेंगे, यह छत्तीसगढ़ सरकार की योजना से ही संभव हो सका है। महंत दंपत्ति बताते हैं कि समय पर गोबर बिक्री की राशि सीधे उनके खाते में जमा हो रही है। इस राशि से वे अब झोपड़ी की जगह अपना पक्का मकान बनायेंगे।
कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में 199 गौठानों में गोबर की खरीदी हो रही है। इन गौठानों में अभी तक 97 लाख 65 हजार किलो से अधिक गोबर खरीदा जा चुका है। शहरी क्षेत्रों के छह गौठानों में आठ लाख 28 हजार किलो से अधिक गोबर अब तक खरीदा गया है। जिसके लिए दो करोड़ 11 लाख रूपए से अधिक की राशि सीधे गोबर संग्राहकों केे खातों में जमा करा दी गई है।