कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : सरकारी राशन दुकानों में इन दिनों घटिया चावल के साथ शक्कर की सप्लाई को लेकर उपभोक्ताओं में भारी आक्रोश है। कीड़े लगे चावल आटा के मार्फ़त शक्कर को लेने से ग्राहक इंकार कर रहे हैं। इस पूरे मामले में विभागीय अफसरों पर मिलीभगत का आरोप लगाया जा रहा है। पिछले तीन-चार माह से सरकारी राशन दुकानों में चावल शक्कर की आपूर्ति को लेकर हितग्राहियों में नाराजगी देखी जा रही है। पुराने चावल के नाम पर कीड़े लगे मिलावटी चावल और बारीक शक्कर में मिलावट को लेकर हितग्राही नाराज हैं।
हालांकि मजबूरी में ऐसे घटिया चावल और शक्कर को लेकर ग्राहक सामान नहीं उठा रहे हैं, इस संबंध में खाद्य विभाग के अफसरों की नींद टूट गई है। विभाग में सरकारी राशन दुकानों में चावल सप्लाई की जांच शुरू कर दी गई है। इसी के तहत छुरी स्थित गोदाम में खाद्य विभाग की टीम कल शाम को जांच पर पहुंची और गोदाम से चावल का सैंपल लिया गया जिसे जांच के लिए रायपुर भेजे जाने की बात कही जा रही है। हालांकि विभागीय अफसर इस पूरे मामले को रूटीन जांच बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि नान गोदामों में भंडारित सामग्री का निरीक्षण किया जाता है इसके लिए विभाग की टीम गोदाम पहुंची थी। गौरतलब है कि जिले में प्रतिवर्ष करीब 1 लाख 50 हजार मैट्रिक टन चावल की खरीदी की जाती है जिसकी बाजार कीमत लगभग 10 हज़ार करोड है। इस चावल का भंडार कोरबा व कटघोरा स्थित गोदाम में किया जाता है इन गोदामों में ही पीडीएस की दुकानों में चावल को आपूर्ति की जाती है।
अफसर दे रहे हैं सफाई
सरकारी राशन दुकानों में घटिया चावल सप्लाई को लेकर विभागीय अफसर बचाव का प्रयास कर रहे हैं। वही अफसरों का कहना है कि वर्ष 2019-20 में राइस मिलरो ने मुंगेली से धान की खरीदी की थी जिसमें पानी पड़ा था जिसके कारण चावल का रंग बेरंग हो गया है इस वजह से चावल में बेरंग आ रहा है।
चावल वापसी का नहीं है कोई रिकॉर्ड
मामला उजागर होने के बाद शहर के एक राशन दुकान से करीब 200 बोरी चावल की वापसी नाम गोदाम में हुई है। सूत्रों की माने तो चावल वापस देने का कोई रिकॉर्ड गोदाम में दर्ज नहीं किया गया है इसके पीछे कई वजह बताई जा रहे हैं।
“नान के गोदामों में भंडारित सामग्री की रूटीन जांच की जा रही है। दुकानों में चावल को लेकर कार्ड धारियों की कोई शिकायत नहीं है, मुंगेली से लाए गए धान में पानी पड़ जाने चावल डिसकलर हो गया है यह सही है। फिर चावल के सैम्पल लिए गए है जिसे परीक्षण के लिए भेज गया है फिलहाल एक माह का स्टॉक बचा हुआ है बाकी का वितरण किया जा चुका है।”
जे.के. सिंह, खाद्य अधिकारी