कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कृषि, योजना व नीति सलाहकार प्रदीप शर्मा आज बिलासपुर संभाग के दौरे पर थे. अन्य जिलों में विभिन्न शासकीय योजनाओं के सम्बंध में बैठकों के बाद सलाहकार प्रदीप शर्मा कोरबा जिला पहुंचे थे. यहां उन्होंने कटघोरा अनुविभागीय दण्डाधिकारी कार्यालय के कांफ्रेंस हॉल में विभिन्न विभागों के अफसरों के साथ बैठक की. प्रदीप शर्मा की यह मीटिंग मूलरूप से गौठान एवम वन विभाग तथा पंचायत विभाग द्वारा निर्माण कराये जा रहे नरवा कार्यो के निर्माणधीन, जल एवं मृदा संरक्षण संरचनाओं के सम्बंध में समीक्षा व निरीक्षण से जुड़ी हुई थी. बैठक में श्री शर्मा के साथ जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कुंदन कुमार व वनमंडल कटघोरा की डीएफओ शमां फारूकी भी मौजूद थी. इसके अलावा विभिन्न जनपदों के सीईओ, कृषि विभाग के अधिकारी व पंचायत डिपार्टमेंट के अफसर भी इस समीक्षा व निरीक्षण बैठक में शामिल हुए.
सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कटघोरा क्षेत्र अंतर्गत संचालित हो रहे गौठान यानी एनजीजीबी के कार्यो की प्रशंसा करते हुए सम्बंधित विभाग के अधिकारियों की सराहना की. बैठक पूरी तरह सकारात्मक रही. इस मीटिंग में क्षेत्रांतर्गत गौठान की व्यवस्था व नरवा निर्माण में आ रही तकनीकी समस्याओ पर गंभीरता से चर्चा की गई. इसके अलावे इन योजनाओं के तहत लाभान्वित हो रहे ग्रामीणों और उनकी स्थानीय समस्याओ पर भी विस्तार से मंथन किया गया. कृषि, वनविभाग और पंचायत विभाग ने उन्हें कोरबा जिले के तहत संचालित हो यह गौठानो, नरवा निर्माण व इनकी मौजूदा स्थिति का पूरा ब्यौरा भी सौंपा. बैठक के अंत मे प्रदीप शर्मा ने स्थानीय मीडियाकर्मियों से बातचीत की और अपने दौरे व बैठक के उद्देश्यों को सामने रखा.
एनजीजीबी और गोधन न्याय योजना से ऊंचा उठा ग्रामीण जनजीवन का स्तर.
प्रदीप शर्मा ने बताया कि नरवा, गरुआ, घुरुआ और बाड़ी योजना प्रदेश सरकार की सबसे महत्वकांक्षी योजनाओ में से एक है. ग्रामीण जनजीवन में आमूल-चूल परिवर्तन ला रहे इस योजना की प्रशंसा ना सिर्फ छत्तीसगढ़ में बल्कि पूरे देश मे हो रही है. एनजीजीबी योजना के इसी समीक्षा के लिए वे आज बिलासपुर संभाग के दौरे पर थे. उन्होंने बताया कि समय समय पर उनके द्वारा गोधन व एनजीजीबी के क्रियान्वयन के सम्बंध में अफसरों से फीडबैक लिया जाता है और योजनाओं को लागू करने में आ रही दिक्कतों की समीक्षा की जाती है. इसके अलावा भौगोलिक जटिलताओं के बीच इन योजनाओं को और कितना प्रभावी बनाया जा सकता है इस पर भी विचार किया जाता है.
गौठान प्रबन्धन में कोरबा प्रदेश के पांच शीर्ष जिलो में शामिल.
सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कोरबा जिले के अफसरों की जमकर सराहना की. उन्होंने बताया कि खनिज और प्राकृतिक सम्पदाओं से भरे कोरबा जिले में गौठान से जुड़ी योजनाओ का संचालन काफी बेहतर ढंग से हो रहा है. चूंकि कोरबा एक समृद्ध क्षेत्र है लिहाजा इसका लाभ भी योजनाओ और उनसे जुड़े हितग्राहियों को हासिल हो रहा है. बकौल श्री शर्मा में वे जब कभी भी दौरे पर होते है तो गौठानो और नरवा का बारीकी से निरीक्षण करती है साथ गांव वालों से भी भेंट करते है. जिले में गौठानो कई हालात पर पूछे गए सवाल पर श्री शर्मा ने कहा कि इसका जवाब जिला पंचायत के सीईओ ज्यादा बेहतर ढंग से दे सकते है फिर भी उन्होंने यहां जिस तरह के इंतजाम देखे है वे कह सकते है कि आज कोरबा जिला स्वालम्बी गौठान के विषय मे प्रदेश के पांच शीर्ष जिलो में शामिल है. उन्होंने इसकी वजह कोरबा जिले के गौठानो में बढ़ाये जा रहे संसाधनों को भी बताया.
पूर्ववर्ती और मौजूदा सरकार में बड़ा फर्क.
खनिज न्यास मद के उपयोग पर किये गए सवाल पर सलाहकार प्रदीप शर्मा ने बताया कि पगले और अब की सरकारों में मदो के उपयोग को लेकर एक बड़ा फर्क है. पहले की सरकार खनिज न्यास मद के राशि का उपयोग आया कार्यो में करती थी जबकि अब की सरकार इस मद का उपयोग बुनियादी जरूरतों और संसाधनों पर कर रही है. डीएमएफ से आज स्कूल और अस्पतालों का निर्माण हो रहा है. शेष राशि का उपयोग ग्रामीणों के लिए गौठानो में किया जा रहा है जबकि कुछ राशि से स्थानीय जनसमस्याओं का निबटारा हो रहा है. इस तरह सरकार मदो का विवेकपूर्ण और सार्थक उपयोग कर रही है.
जाने.. कौन है सीएम के सलाहकार प्रदीप शर्मा..
प्रदीप शर्मा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चार मुख्य सलाहकारों में एक है. प्रदेशभर में लागू किये गये एनजीजीबी यानी नरवा, गरुआ, घुरुआ अउ बाड़ी योजना का उन्हें शिल्पकार माना जाता है. प्रदीप शर्मा चारों सलाहकारों विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग और राजेश तिवारी में सबसे कम उम्र के हैं. बिलासपुर जिले के अकलतरी गांव के रहने वाले प्रदीप शर्मा कई क्षेत्रों में विशेषज्ञ हैं. बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं प्रदीप शर्मा आचार्य के रुप में मशहूर है. प्रदीप शर्मा शिक्षा से पेट्रोलियम इंजीनियर और जिओलॉजी एक्सपर्ट हैं. वे पिछले कई साल से कृषि और ग्रामीण विकास पर काम कर रहे हैं.
प्रदीप शर्मा पेंड्रा के मल्टीपरपज़ के विद्यार्थी रहे हैं. वहां से फिर से रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज से जीओलॉजी मे एमटेक किया. इसके बाद उन्होंने फिर से पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में आईएसएम धनबाद से एमटेक किया. पढ़ाई के बाद उन्हें असम में पेट्रोलियम इंजीनियर की नौकरी मिली. शेल, बीपी में काम करने के बाद स्वीडन डेनमार्क में काम किया. उसके बाद वे सब छोड़कर मुंबई आए. रिलायंस पेट्रोलियम में काम किया. मुंबई से 2005 में छत्तीसगढ़ लौट आए. उन्होंने एक एनजीओ ‘सेवा’ बनाया. किसानों के साथ काम करते हुए कृषक बिरादरी बनाई. जिसमें किसान अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हैं.
उन्होंने ग्रामीण अर्थनीति, खेती पर गहरा रिसर्च किया. इन्होंने छत्तीसगढ़ के और मध्य भारत के इतिहास और आध्यात्मिक परंपराओं पर काफी काम किया. वे ग्रीन पीस के फाउंडर सदस्य थे. नर्मदा बचाओ आंदोलन से गहरे रुप से जुड़े हुए थे. शर्मा ने दो साल पहले सेंट्रल इंडिया एग्रेरियन लाइलीव फोरम CILF बनाया. साहित्यिक लगाव रखने वाले श्री शर्मा का रतनपुर पर लिखा लेख काफी मशहूर है. शर्मा ने राजनांदगांव महिला कई हज़ार महिलाओं को स्वयं सहायता समूह जोड़ने का काम किया था. उन्होंने राजनांदगांव में कई वाटर बॉडी बनवाई है. फिलहाल प्रदीप शर्मा मुख्यमंत्री के सबसे विश्वस्त शख्सियतों में से एक है.