कटघोरा: फिर भड़केगी जिले की मांग की चिंगारी.. CM बघेल के आगमन के पहले अधिवक्ता संघ ने बनाई रणनीति.. सौपेंगे ज्ञापन.

कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) हिमाशु डिक्सेना :- आज अधिवक्ता संघ कटघोरा की एक बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में कटघोरा को जिले का दर्जा दिलाने लामबंद अधिवक्ताओं ने अपनी मांग 4 जनवरी को कोरबा प्रवास पर आ रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंचाने का प्रस्ताव पारित किया। व्यापक विचार-विमर्श एवं सभी की सहमति के बाद निर्णय लिया गया है कि संघ का एक प्रतिनिधिमंडल महोरा में जाकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेगा और क्षेत्र की जरूरतों व समस्याओं से अवगत कराते हुए कटघोरा को जिला बनाने की मांग रखी जाएगी।

बैठक में प्रमुख रूप से कटघोरा को जिले का दर्जा देने के लिए लामबंद हुए अधिवक्ताओं ने क्रमबद्ध तरीके से कार्य करने की रणनीति पर अपने विचार साझा किए। इस दौरान कटघोरा अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सुधीर मिश्रा, उपाध्यक्ष धन्नू दुबे, सचिव पवन जायसवाल, कोषाध्यक्ष संतोष जायसवाल, सुभाष दत्ता, भरत पांडेय, अरविंद गोभिल, सुरेंद्र गिर, अशोक गौरहा, भुवनेश्वर डिक्सेना, शिवगोपाल, रामपाल देवांगन, राजेश पाल, नरेश गुप्ता, नरेश साहू, शिवशंकर भारती, राकेश जायसवाल, संजय जायसवाल, रामशंकर जायसवाल, देवेंद्र जायसवाल, शेहरा परवीन, कनकरेखा साहू, संतोषी गोस्वामी, चंदन श्रीवास्तव, इजहार अली, युवराज जायसवाल, रामकुमार तिवारी, ठाकुर प्रसाद, मिहिर सिन्हा, कमलेश पटेल, राकेश साहू, रामसाय साहू, संजय केला, नरेंद्र निषाद, गोविंद अशोक ताम्रकार कैवर्त, सुनील वर्मा, परसराम रात्रे, डीपी श्रीवास समेत एसोसिएशन के सभी सदस्य अधिवक्ता मौजूद रहे।

अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सुधीर मिश्रा ने बताया कि क्षेत्र की ये मांग वर्षों पुरानी है। जिला मुख्यालय नहीं होने के चलते कटघोरावासियों को अनेक समस्याओं से आए दिन जूझना पड़ता है। यही वजह है जो जनता के हक की मांग को लेकर आवाज बुलंद करने की जरूरत महसूस की जा रही। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश से मुलाकात कर मांग सौंपे जाने के दौरान प्रतितिनिधिमंडल के साथ कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर एवं पाली-तानाखार विधायक मोहितराम केरकेट्टा साथ रहेंगे। पोंडी उपरोड़ा के महोरा में आ रहे मुख्यमंत्री से भेंट किया जाएगा। उम्मीद जताई गई कि शासन उनकी मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार भी करेगा।

अध्यक्ष मिश्रा ने कहा कि कटघोरा वर्ष 1914 की सबसे पुरानी तहसील है। उन्होंने विश्वास जताया कि कटघोरा के हक की इस जायज मांग में क्षेत्र की जनता, जनप्रतिनिधि, हर आयु, वर्ग, दल, व्यवसाय एवं समुदाय विशेष के लोग उनकी मुहिम से स्वस्फूर्त जुड़कर शामिल होंगे। बैठक के दौरान अधिवक्ता संघ की कार्रवाई रजिस्टर में चरणबद्ध कार्ययोजना का खाका दर्ज कर लिया गया है। यह भी कहा गया कि अगर मांग पूरी नहीं होती है, तो कटघोरा का हर वर्ग-समुदाय एवं अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा के लोग भी एक सर्वदलीय मंच के बैनर तले एकजुट होंगे व कटघोरा को जिला बनाने चरणबद्ध प्रयास शुरू करेंगे।

यहां बताना आवश्यक होगा कि लखनलाल देवांगन जब विधायक बने थे, तब प्रवास पर आए पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने भी कटघोरा को जिला बनाने रखी गई मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया था। उन्होंने यहां तक कहा था कि जब कभी राज्य सरकार नया जिला बनाने की प्रक्रिया शुरू करेगी, कटघोरा का नाम सबसे पहले लिखा जाएगा। इसके बाद तब की भाजपा सरकार के निर्देश पर आयोग से अफसरों की टीम कटघोरा भेजी गई थी। अफसरों ने आम जनता से चर्चा कर विचार भी जाने। इस तरह आम सर्वे के जरिए जनमत जाना गया था। इसके बाद जिला बनाने की दिशा में कार्रवाई ठंडे बस्ते के हवाले कर दी गई।

राजस्व में सक्षम पर विकास में उपेक्षित

कटघोरा अधिवक्ता संघ में 110 सदस्य हैं, जिनमें करीब 80 से अधिक सदस्यों ने बैठक में मौजूदगी दर्ज कराते हुए निर्णय पर अपनी सहमति दी है। अध्यक्ष मिश्रा ने बताया कि कटघोरा सबसे पुरानी तहसील है। तब के दौर में बिलासपुर संभाग के अंतर्गत पांच तहसीलें थीं, जिसमें कटघोरा एक था। एनटीपीसी जैसे केंद्रीय उपक्रम व एसईसीएल की कोयला खदानों से समृद्ध कटघोरा के पास राजस्व प्राप्ति के स्वयं के पर्याप्त स्त्रोत मौजूद हैं, लेकिन विकास के मामले में उसे हमेशा से उपेक्षित रहना पड़ा है। कई क्षेत्र कोरबा मुख्यालय से 100 से 150 किलोमीटर दूर हैं, जिसके चलते जनता को कई प्रकार की परेशानी होती है।