कटघोरा : नगर का सबसे व्यस्ततम बस स्टैंड अपनी बदहाली पर बहा रहा आंसू.. नगर प्रशासन करता है विकास की बात.. बस स्टैंड की दुर्दशा देख नगर के विकास का लगाया जा सकता है अंदाज़ा.

कोरबा/कटघोरा 11 सितंबर 2022 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : कटघोरा नगर का सबसे व्यस्ततम बस स्टैंड अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यह बस स्टैंड अंतरराज्यीय बस स्टैंड के तौर पर जाना जाता है लेकिन यह बस स्टैंड अपनी बदहाली पर इन दिनों आंसू बहा रहा है। यात्री सुविधा के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि लगभग 25 वर्ष पुराने इस बस स्टैंड के विकास के प्रति जिला प्रशासन व नगर पालिका के अधिकारी तथा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी गंभीर नहीं हैं। हर दिन यहां से सैकड़ों बसें व गाड़ियां झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जाती हैं। बस के माध्यम से सैकड़ों यात्री सफर करते हैं। सुबह से लेकर रात भर बसों का आना-जाना लगा रहता है। गर्मी के दिनों में यात्रियों को सिर छुपाने के लिए यात्री प्रतीक्षालय तो बना है यहां पंखे भी लगे है लेकिन नुमाइश नुमा, कुछ पंखे तो चल रहे हैं बाकी कुछ गायब हो चुके हैं। पूर्व में यहां की तत्कालीन पार्षद द्वारा बस स्टैंड में पंखे व लाइट लगवाई गई थी लेकिन देखरेख के अभाव में कुछ लाइटें बन्द हो चुकी है और कुछ पंखे यहां से गायब हो गए हैं। बस स्टैंड के पास सुलभ शौचालय यात्रियों की सुविधा के लिए बनाया गया था लेकिन यहां के सुलभ शौचालय में यात्रियों को पैसे देकर इसका उपयोग करना पड़ता है। जिससे यात्रियों में काफी नाराज़गी भी देखी गई है। और कई बार सुलभ शौचालय के संचालक से विवाद भी हो जाता है।

प्रतीक्षालय में कुर्सियां है मगर टूटी, मनोरंजन के लिए टीवी है मगर वो भी बंद

कटघोरा बस स्टैंड में यात्रियों के बैठने के लिए लोहे की कुर्सियां तो हैं मगर वो कई जगहों से टूट चुकी हैं। इसलिए यात्रियों को बैठने के लिए भारी परेशानी होती है। बस स्टैंड की व्यवस्था पर नगर पालिका भी गंभीर नज़र नही आता है। प्रतीक्षालय के भीतर व बाहर गंदगी होने बस के इंतजार करने वाले यात्रियों को असहज महशुश होता है। बस स्टैंड के बाहर नालियों में गंदगी का आलम है। नियमित सफाई के अभाव में यहां स्वच्छ भारत अभयिान की धज्जियां उड़ रही हैं। बस स्टैंड भवन की स्थिति खस्ताहाल होने लगी है इस दिशा में समुचित प्रबंधन की आवश्यकता है। बस स्टैंड में बस की प्रतीक्षा के दौरान रुकने वाले यात्रियों के मनोरंजन के लिए टेलीविजन तो लगाया गया लेकिन वो भी कई वर्षों से बंद पड़ा है।

अतिक्रमण के कारण छोटा पड़ता जा रहा है बस स्टैंड

लगभग 3 दशक पुराना बस स्टैंड अतिक्रमण से छोटा पड़ता जा रहा है। बस चालकों को काफी परेशानी हो रही है। एक समय यहां लगभग 20 बसें लगती थीं। आज हालत यह है कि 10 से अधिक बस नहीं लग पाती हैं। चालकों को स्टैंड से बस को निकालने व बस स्टैंड के अंदर आने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अतिक्रमण होने की वजह सड़क पर जाम की भी स्थिति हमेशा बनी रहती है। दुर्घटना का भी भय समाया रहता है।

पूछताछ केंद्र तो है मगर रहता कोई नहीं

सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि यहां पर यात्रियों को बसों की जानकारी देने के लिए बस स्टैंड के भीतर पूछताछ केंद्र तो बनाया गया है। लेकिन यात्रियों को अपने निर्धारित स्थान पर जाने के लिए यदि बस की टाइमिंग पूछनी या फिर एडंवास बुकिंग करानी है तो यहां कोई आफिस में नही मिलता है। यात्रियों को यहां लगी दुकानों या फिर बसों के एजेंट से पूछकर अपनी बस का पता करना पड़ता है। इसमें सबसे ज्यादा हिचक महिलाओं और युवतियों को होती है कि वे अंजान व्यक्ति से अपने निर्धारित स्थान जाने वाली बस की जानकारी जुटाती है, ये उसकी सुरक्षा के साथ खिलबाड़ भी है।

बस स्टैंड पर बने काम्प्लेक्स की दुकान पालिका की देखरेख के अभाव में हो रहे जर्जर

कटघोरा बस स्टैंड के यात्री प्रतीक्षालय के अगले बगल दुकाने नगर पालिका द्वारा बनवाई तो गई हैं। लेकिन लगभग 3 दशक होने से इसकी छत कमजोर हो गई है और बारिश में पानी के भराव से दुकानों में शीलन हो जाती है। जिससे व्यापारियों को परेशानी हो रही है। व्यापारियों द्वारा नगर पालिका में शिकायत तो की जाती है मगर पालिका की उदासीनता से इस पर आज तक कोई ध्यान नही दिया गया है। इस सबसे परे पालिका अपनी आय बढ़ाने के लिए कमजोर हो चुके बस स्टैंड के ऊपर दुकानों का निर्माण कर रहा है।

नगर पालिका अध्यक्ष व सीएमओ नही उठाते फोन

बस स्टैंड के पास बनी दुकानों के व्यापारियों से मिली जानकारी से यह बात सामने आई कि बस स्टैंड की कुछ भी समस्या यदि बतानी हो तो नगर पालिका अध्यक्ष व नगर पालिका के सीएमओ फोन नही उठाते हैं। और उनसे बात नही हो पाती। लोगों का यह भी कहना है कि नगर अध्यक्ष व पालिका द्वारा विकास की बात तो की जाती है लेकिन कटघोरा नगर अभी भी विकास से कोसों दूर है। नगर के लोगों ने नगर की बदहाल सड़क व्यवस्था को कई साल झेला है। लेकिन गौरव पथ निर्माण में हो रही देरी पर तात्कालीन कलेक्टर रानू साहू ने संज्ञान में लेकर सड़क को जल्द बनवाया तो गया जिससे लोगों को काफी हद तक राहत मिली लेकिन नगर पालिका परिषद की उदासीनता से अधूरा पड़ा गौरव पथ आज भी अपने अस्तित्व में आने की प्रतीक्षा कर रहा है।