कोरबा/कटघोरा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) शशिकांत डिक्सेना : देश को आजादी मिलने के पश्चात मातृभूमि के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने हेतु राष्ट्रीय एकता के प्रतीक स्वरूप छत्तीसगढ़ के प्राचीनतम भारत माता मंदिर को मूर्त रूप देने की प्रक्रिया सन 1952 में शुरू की गई। तत्कालीन तहसीलदार कटघोरा हृदयनाथ ठाकुर के नेतृत्व में इस प्रकल्प को पूरा करने की योजना बनी। अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उन्होंने जनपद पंचायत कटघोरा की बैठक में नगर विकास हेतु किसान मेला एवं राष्ट्रीय भावना को पुष्ट करने हेतु “भारत माता मंदिर” स्थापना का प्रस्ताव पारित करा लिया। क्षेत्रीय जनता के मनोरंजन तथा जीवन उपयोगी सामग्रियों के वार्षिक क्रय विक्रय के लिए भव्य किसान मेले का आयोजन का प्रचलन तभी से अनवरत रूप से कटघोरा “भारत माता मंदिर” परिसर में जारी है। भारत माता मंदिर निर्माण समिति का गठन तहसीलदार हृदय नाथ ठाकुर जी के अध्यक्षता में गठित की गई। तत्कालीन राष्ट्रप्रेमी शिक्षक स्वर्गीय हेमलाल जायसवाल, स्वर्गीय प्रीति राम कश्यप, स्वर्गीय पुहुप सिंह तथा श्री दाऊ राम पोर्ते आदि के नेतृत्व में तथा नगर के राष्ट्र प्रेमी नागरिकों के अथक प्रयासों से भारत माता मंदिर का एक अनुपम उपहार कटघोरा नगर के आम जनता को प्राप्त हुआ।
26 जनवरी 1954 को भारत माता मंदिर के लोकार्पण के ऐतिहासिक अवसर पर भारत माता मंदिर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले समिति के सम्माननीय पदाधिकारियों तथा सदस्यों का जनपद सभा में सम्मान किया गया। अथर्ववेद में उधृत है “माता भूमि पुत्रों अहं पृथ्वीव्या” अर्थात धरती हमारी माता है और हम इसके पुत्र हैं राष्ट्र ही सबसे बड़ा देवता है राष्ट्रधर्म को निभाना ही सबसे बड़ा धर्म है। राष्ट्र के प्रति श्रद्धा कृतज्ञता एवं स्वाभिमान हर नागरिक में होना चाहिए, यह भाव तत्कालीन तहसीलदार ठाकुर हृदयनाथ में कूट-कूट कर भरी थी। जिससे अभिप्रेरित होकर उन्होंने भारत माता मंदिर का निर्माण कराया था। भारत माता मंदिर के दक्षिण भाग में श्रीलंका, अंडमान निकोबार द्वीप समूह तथा हिंद सागर को दर्शाया गया है। प्रमुख नदियों, पर्वतों, झरना आदि को समुचित स्थान दिया गया है। सर्व धर्म समभाव प्रदर्शित करने वाला छत्तीसगढ़ का यह प्राचीनतम मंदिर सभी धर्म के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोता है। भारत माता मंदिर एक राष्ट्रीय धरोहर है। पहले लोग अपने वर्ष भर की आवश्यकता की सामग्रियां इस किसान मेले में खरीद लेते थे। किसान मेला सभी धर्म के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता था। युवाओं के लिए जहां मनोरंजन के विपुल साधन उपलब्ध होते हैं, वही बुजुर्गों और महिलाओं के लिए गृज साज सज्जा की सामग्रियां उपलब्ध होती हैं। किसान भाइयों के लिए भी अपनी उपज को बेचने और आवश्यक सामग्री को क्रय करने के लिए अनेक विकल्प होते हैं। किसान मेले में विभिन्न शासकीय कार्यालयों के द्वारा विभागीय योजनाओं की प्रदर्शनी लगाई जाती है, जिससे लोगों को शासन की योजनाओं की जानकारी मिलती है।
प्रारंभ में भारत माता मंदिर का उत्तरी ढांचा खुला हुआ था, जिसे बाद में नगर पंचायत कटघोरा के तत्कालीन अध्यक्ष के प्रयास से वर्तमान स्वरूप प्रदान किया गया है। “भारत माता मंदिर” को भव्य स्वरूप दिलाने हेतु कला एवं संस्कृति के संरक्षण तथा संवर्धन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले अखिल भारतीय संगठन संस्कार भारती द्वारा अपने स्थापना काल से ही प्रयास किया जा रहा है।प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस के अवसर पर “भारत माता मंदिर” को अलंकृत किया जाता है, एवं स्थानीय निकाय के पदाधिकारियों, गणमान्य नागरिकों, प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों तथा स्कूली छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में भारत माता पूजन कार्यक्रम का भव्यतम आयोजन किया जाता है। भारत माता पूजन कार्यक्रम के माध्यम से भारत माता की आरती तथा सामाजिक समरसता से युक्त कार्यक्रमों के द्वारा नगर के आमजन का आह्वान करने की परिपाटी विगत 3 वर्षों से जारी है। विभिन्न समाज के प्रमुखों सामाजिक कार्यकर्ताओं से प्राप्त लिखित सहमति पत्र से हम उत्साहित हैं। माननीय जनप्रतिनिधियों एवं शासन प्रशासन के सम्माननीय जनों से विनम्र आग्रह है कि राष्ट्रीय महत्व के इस धरोहर को भव्यतम स्वरूप प्रदान करने में अपनी कारगार भूमिका का निर्वहन करें।