कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़) :-सालभर पहले भीषण कोरोना महामारी के फैलाव के बीच इस आपदा को हराने वाला कटघोरा शहर आज अपने शहर के भीतर के सड़को की बदहाली पर आंसू बहा रहा है. गौरव पथ निर्माण के नाम पर जगह जगह सड़के खोद दी गई है. जो डायवर्ट सड़क है वह गड्ढो से भरा पड़ा है ऐसे में कब और कहा कोई बड़ी दुर्घटना घट जाये कहा नही जा सकता. करीब चार सालों बाद तमाम तकनीकी चुनौतियों के बाद नए साल में गौरव पथ का निर्माण शुरू हुआ तो लोगो मे यह अस बंधी की अब उन्हें भी आवागमन के लिए अच्छी सड़क नसीब हो सकेगी लेकिन यह आस अब फिर से धराशाई नजर आ रहा है. सौ मीटर की सड़क ठेकेदार ने खोद दी है जिसका खामियाजा शहरवासियों के साथ ही आम व्यवसायियों को उठाना पड़ रहा है. नाराजगी का आलम यह है कि आमजन कभी भी इसके खिलाफ सड़क पर उतर सकते है.
हैरान करने वाली बात यह ही कि इस समस्या के निराकरण के लिए न यही स्थानीय प्रशासन कोई पहल कर रहा है और ना ही निर्माण एजेंसी नगरपालिका परिषद. वे बार-बार पोल और पाइप शिफ्टिंग की बात कहकर नगर के लोगो को गुमराह कर रहे है. परिषद के सीएमओ खुद छुट्टी पर है लिहाजा नगरपालिका में कोई भी इस बदइंतजामी पर मुंह नही खोल रहा है.
पिछले महीने हुई समयसीमा की बैठक में जिला कलेक्टर ने गौरव पथ निर्माण कार्य की समीक्षा की थी. जब उन्हें जानकारी हुई कि कम अबतक शुरू नही हुआ है तो उन्होंने मुख्य नगरपालिका अधिकारी को जमकर फट कार लगाई थी. इस फटकार के अगले ही दिन ठेकेदार ने मशीनों की मदद से कम शुरू कर दिया था लेकिन महज एक हफ्ते ब यही ढाक के वही तीन पात के तर्ज पर काम फिर से रोक दिया गया. पालिका से काम मे तेजी नही आने की वजह पूछने पर वे बार-बार खंबे और पाइप के शिफ्टिंग का हवाला देते है. जबकि इस काम मे भी पालिका काफी सुस्ती दिखा रहा है. 14 सौ मीटर का यह निर्माण कब तक पूरा हो सकेगा यह अब भगवान भरोसे है.
शहर के व्यापारी एवं आमजन धूल और डस्ट से काफी परेशान है व्यापारियों का कहना है कि रोड खराब होने की वजह से व्यापार में भी कमी आई है इस रास्ते से गुजरने वालों की संख्या भी कमी आई है जिससे हमारा व्यापार भी पहले की तरह वृद्धि नहीं हो रही है
रात्रि कालीन भारी वाहनों की चलने से अत्यधिक डस्ट उड़ते हैं जिससे चलना तो दूर जमुना जी एक ही स्थान पर खड़े रहना भी मुश्किल हो जाते हैं सड़क की दयनीय स्थिति के बाद भी इस रोड पर रात्रि 10:00 बजे के बाद भारी वाहनों का भी आवागमन जोरों शोरों से चलता है