कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) : छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए कमाई का जरिया बन कर रह गई है। उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से मैदानी अफसर और ठेकेदार सरकारी खजाने को बेखौफ होकर लूट रहे हैं और सरकार व संबंधित विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। योजना में भ्रष्टाचार इस तरह गहरी जड़ जमा चूका है कि अधिकारी ठेकेदार को कार्य पूरा होने से पहले ही संपूर्ण भुगतान कर देते हैं और उनका बाल बांका नहीं होता। न तो निर्माण कार्य का लेखा-परीक्षण का कार्य पूरा होता है और न ही सड़क का भौतिक सत्यापन होता है लेकिन ठेकेदार को पूरा पेमेन्ट और अधिकारियों को उनका हिस्सा मिल जाता है।
समग्र ग्रामीण विकास के दावों के बीच कटघोरा अनुविभाग के मोहनपुर क्षेत्र में जनता कीचड़ पर चलने को मजबूर है। कारण यह है कि यहां पर सड़क है ही नहीं। जिस काम के लिए टेंडर हुआ है उस पर अब तक कुछ नहीं हो सका। खबर के अनुसार छह महीने पहले छत्तीसगढ़ सड़क विकास निगम की ओर से यह काम कराना तय हुआ और आनंदी बिल्डर्स को ठेका आवंटित कर दिया गया। पूर्व में यह मार्ग खस्ता हाल था। जिसे नए सिरे से बनाने के लिए एजेंसी बदली गई। बताया गया कि इस सड़क के बीच में गेवरारोड-पेण्ड्रा रेलवे कॉरिडोर का काम चल रहा है। इस काम में लगे ट्रेलर दिन भर यहां से आवाजाही करते हैं। ऐसे में सड़क की हालत और भी ज्यादा खराब हो गई है। बारिश के साथ यहां किये गए अर्थ वर्क का कचुमर निकल गया है अब कुल मिलाकर चौतरफा कीचड़ ही कीचड़ है। दावा किया जा रहा है कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी के नियंत्रण में यह काम होना है लेकिन उनकी उदासीनता के चक्कर में सबकुछ अस्त-व्यस्त है और ग्रामीणजन हलाकान हैं।
लेकिन इन सबसे अधिकारियों-ठेकेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ता। इस योजना के तहत बनाई गई सड़कों की दुर्दशा, घटिया निर्माण, ठेकेदारों की मनमानी और अधिकारियों के भ्रष्टाचार को लेकर खबरे प्रकाशित होती तो रहती है लेकिन इसके बावजूद सरकार व विभाग की नींद नहीं टूटना और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों-ठेकेदारों पर कार्रवाई नहीं होना दर्शाता है कि नीचे से लेकर ऊपर तक पूरा सरकारी तंत्र ठेकेदारों के माध्यम से उपकृत हो रहा है, जिससे कोई भी जिम्मेदार वंचित नहीं रहना चाहता।