कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):-कटघोरा वन मंडल में जंगली हाथियों से होने वाली समस्या और समाधान विषय पर वन मंडल कार्यालय भवन, कटघोरा के सभाकक्ष में कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में हाथियों से होने वाली जनहानि को शून्य करने सहित बचाव के अन्य अल्पकालीन एवं दीर्घ कालीन उपायों पर विचार विमर्श किया गया. वन विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में हाथी से बचाव हेतु विस्तारपूर्वक चर्चा की गई…..
कटघोरा वन मंडल के पसान, जड़गा, केंदई, एतमानगर, वनपरिक्षेत्र में हथियों ने लगभग 2 वर्षों से डेरा डाल रखा है. जनहानी के साथ ही ग्रामीणों के मकान टूट रहे हैं. संसाधन विहीन वन अमला भी खासा परेशान है. जिसे लेकर आज कटघोरा वन मण्डल के सभागार में जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. हाथी के मूवमेंट की सूचना तत्काल मिलने के लिए सूचना तंत्र को विकसित करने पर भी जोर दिया.
कार्यशाला में वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सरगुजा से प्रभात दुबे भी मौजूद रहे . जिन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला हांथीयों एवं मानव के बीच एक सामंजस्य बनाने के लिए रखा गया है हाथियों में सूंघने की जबरदस्त क्षमता होती हैं. जबकि दृष्टि कमजोर होती है. जनहानी को शून्य करना हमारा प्राथमिम लक्ष्य है. हाथी शाम को 5 से 7 और सुबह 3 से 7 बजे के बीच गांव से जंगल की ओर जाते है. इस विषय में पर्याप्त जागरूकता के साथ इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। मोबाईल-टेलीफ़ोन सहित गजमित्र सूचना केंद्र का संचालन किया जाएगा. हाथी आने पर ’’क्या करें- कार्यशाला में बताया गया कि हाथी आने पर एलीफेण्ट लाईट का उपयोग करें. हाथी आने पर लाउडस्पीकर से ’’शेर की दहाड़’’ एवं मधुमक्खी की भन-भनाहट प्रसारित करें. हाथी को देखते ही वन अमला को सूचना दें. हाथी आगमन की सूचना पर मशाल तैयार रखें. हाथी आगमन की सूचना पर दल बनाकर रात्रि गस्त करें. इस मौके पर जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही कटघोरा वनमंडल के समस्त अधिकारी व हाथी प्रभावीत क्षेत्र के वन कर्मी मौजूद रहे.
छ्त्तीसगढ़ के जंगल हांथीयों के रहवास के लिए है अनुकूल
प्रभात दुबे ने बताया कि आज छ्त्तीसगढ़ के जंगलों में लंबे समय से आस पास के राज्यों के जंगल से हांथी छ्त्तीसगढ़ की ओर रुख कर रहे हैं इसकी मुख्य वजह है कि प्रदेश के जंगल हांथीयों के रहवास के लिए अनुकूल है और वे अपना विस्तार भी कर रहे हैं क्योंकि हांथीयों के रहवास के लिए मुख्य चीज़ है कि उन्हें भोजन, पानी की सुविधा यहां के जंगलों में भरपूर मिल रहा है जिससे हांथी लगातार यहां के जंगलों में रुके हुए है और जंगलों में निवासरत ग्रामीणों को हांथीयों से छेड़छाड़ न कर उनसे एक सामंजस्य बनाने की जरूरत है जिससे हांथी किसी प्रकार की घटना या दुर्घटना को अंजाम न दे सके इसके लिए ग्रामीणों व वन कर्मियों को सतर्क व सचेत रहने की आवश्यकता है.