कटघोरा : कटघोरा को जिला बनाने की मांग को लेकर अधिवक्ता संघ की 23 अगस्त से अनिश्चित कालीन धरने की तैयारी.. इस मुहिम में सभी समुदाय से सहयोग की सहयोग की अपील

कटघोरा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) : कटघोरा नगर को जिले का दर्जा दिए जाने की मांग के साथ कटघोरा के अधिवक्ताओं ने सड़क की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है. गुटुवार को स्थानीय व्यवहार न्यायलय समीप इस सम्बंध में एक महत्वपूर्ण बैठक आहूत की गई थी. बैठक में अधिवक्ता संघ के समस्त पदाधिकारियों एवं अधिवक्ताओं ने शिरकत की. सभी ने एकराय होकर इस बात पर अपनी सहमति दी है आगामी गणतंत्र दिवस तक कटघोरा को जिला बनाये जाने का एलान राज्य सरकार की तरफ से कर दिया जाए. इसके लिए नगर के सर्वसमुदाय को आंदोलन में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी होगी. फिलहाल अधिवक्ता संघ आने वाले 23 अगस्त से अनिश्चित कालीन धरने पर बैठने का फैसला लिया है. यह धरना प्रदर्शन सुबह 10 बजे से प्रारंभ होकर शाम 5 बजे तक चलेगा. सभी का उद्देश्य कटघोरा वासियों के भावनाओ को सामने रखते हुए जिले की मांग पर ही केंद्रित रहेगी.

नगर की भावनाओ से जुड़ी है जिले के दर्जे की मांग, राज्य शासन करे सम्मान.

अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि यह कोई आम मांग नही बल्कि नगरवासियों के भावनाओ से जुड़ी हुई मांग है. पूर्व में भी इस दिशा में प्रयास किया जाता रहा है लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति व सशक्त नेतृत्व के अभाव में नगर के इस मांग को तवज्जो नही दिया गया. अब जब कटघोरा नगर से छोटे-मंझोले अनुविभागो को जिले की सौगात दी जा रही है तो इस बात की उम्मीद बढ़ गई है कि कटघोरा नगर जो एक शताब्दी से तहसील का ओहदा रखता है उसे जिले के तौर पर अद्यतन किया जाए. पत्रकारों ने बताया कि यह लड़ाई सड़क से उठकर सदन तक पहुंचेगी लेकिन इसके लिए सर्वसमाज को सामने आना होगा. अधिवक्ता संघ पहले ही इस मांग को पूरा कराने प्रत्यनशील रहा है. इसी तरह व्यापारी संघ समेत अन्य संघ व समिति भी एकसुर में इस मांग को मजबूती के साथ आगे बढ़ाए. प्रयास हो कि अगले गणतंत्र दिवस तक राज्य शासन इसकी घोषणा कर दे बावजूद अगर ऐसा सम्भव ना हुआ तो भी पूरी ऊर्जा से यह मांग उठाई जाती रहेगी.

बैठक में प्रमुख रूप से अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सुधीर मिश्रा, सचिव अमित सिन्हा, कोषाध्यक्ष रवि आहूजा तथा संघ के सदस्य संजय जयसवाल, राकेश जयसवाल, संतोष जयसवाल, नरेश अग्रवाल, ठाकुर प्रसाद यादव, नरेश साहू, पवन जयसवाल, यदुनंदन जयसवाल, दिलीप पाण्डेय, सुरेश केडिया एवं अन्य अधिवक्ता गण मुख्य रूप से उपस्थित रहे.