कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़)हिमांशु डिक्सेना:- बीते रविवार को सुतर्रा बाँसटाल के पुराने बेरियर के पास से बरामद किए गए वनमण्डल के डिप्टी रेंजर के लाश से जुड़ा पूरा मामला कटघोरा पुलिस ने सुलझा लेने का दावा किया है. हत्या की साजिश के पीछे जमीन, पैसा और अवैध सम्बन्ध तीनो ही वजहे है. आरोपियों ने पूरे वारदात की योजना महीनेभर पहले ही तैयार कर ली थी जिसे 13 मार्च की रात अंजाम दिया गया जबकि दूसरे दिन पूर्वाह्न 11 बजे लाश बरामद की गई. अंधे कत्ल के इस गुत्थी को सुलझाने में पुलिस को भी खासी मशक्कत करनी पड़ी. इसके लिए आधा दर्जन स्पेशल टीम आरोपियों की धरपकड़ में जुटी हुई थी. वारदात में शामिल दो अभियुक्तों को जांजगीर-चाम्पा से जबकि अन्य को बिलासपुर से हिरासत में लिया गया है. पूरे साजिश में दो महिलाएं शामिल है जबकि पांच पुरुषों का नाम भी दर्ज किया गया है. सभी पर भादवि की धारा 302, 201, 120 (बी), 328, 365 व 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है.
पुलिस के मुताबिक मृतक डिप्टी रेंजर कंचराम पाटले पिता पुसउ पाटले (58) की मौत स्वाभाविक नही थी बल्कि उसके सम्बन्धियों ने ही कंचराम के कत्ल की खूनी साजिश रची और उसे अंजाम दिया. पुलिस ने हत्या के इस वारदात को अंजाम देने वाले सभी अभियुक्तों को हिरासत में ले लिया है. इसके अलावा मर्डर में प्रयुक्त कार, हथियार, मोबाइल और दूसरे सभी सामानों को भी बरामद कर लिया है. हत्या के पीछे पल रहे वजहों का खुलासा आज प्रभारी एसडीओपी रामगोपाल करियारे व प्रभारी थाना इंचार्ज अशोक शर्मा ने थाना परिसर में ही प्रेसवार्ता के माध्यम से की. इस दौरान बड़ी संख्या में पत्रकार जन थाने में मौजूद थे. हालांकि पुलिस ने लाश मिलने के 24 घंटे के भीतर ही ज्यादातर संदेहियों को हिरासत में ले लिया था लेकिन पूछताछ, दस्तावेजी कार्य व अन्य साक्ष्य जुटाने में हुई देर की वजह से तीसरे दिन इस मामले का खुलासा किया गया. सभी आरोपियों पर गंभीर धाराओं के तहत अपराध दर्ज करते हुए न्यायालय में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजने की तैयारी की जा रही है.
अवैध सम्बन्ध बना हत्या की वजह, चाहते थे सम्पत्ति, नौकरी पर अधिकार.
इस बारे में एसडीओपी श्री करियारे ने बताया कि हत्या के इस प्रकरण के पीछे मुख्य साजिशकर्ता मृतक कंचराम की चूड़ियांही पत्नी संतोषी पाटले और उसका प्रेमी जीजा नरेंद्र कुमार टण्डन है. संतोषी पूर्व में अपने जीजा नरेंद्र के घर बलौदाबाजार में ही रहती थी. इस दौरान दोनों के बीच अवैध सम्बन्ध स्थापित हो गया था. इसके पश्चात सन्तोषी की शादी मृतक कंचराम पाटले से हो गई. कंचराम की पहली पत्नी लक्ष्मीन की मौत 8-10 साल पहले हो गई थी. जिसके बाद कंचराम ने संतोषी से ब्याह किया था. शादी से असंतुष्ट सन्तोषी का सम्बन्ध अपने प्रेमी जीजा नरेंद्र से जारी रहा. वह अपने पति को छोड़कर आये दिन नरेंद्र कुमार के घर पर ही रहती थी हालांकि पैसे, जायजाद और नौकरी को पाने के लिए वह मृतक से अलग नही हो पा रही थी. शातिर सन्तोषी हर माह मृतक कंचराम से पैसे लेने कटघोरा आती थी और फिर अपने प्रेमी के पास लौट जाती थी. कंचराम ने सन्तोषी को अपनी पहली पत्नी वे जेवर और साढ़ू यानी सन्तोषी के प्रेमी को ट्रेक्टर भी दिलाया था. इस तरह दोनों प्रेमी जोड़ों में पैसे की लालच बढ़ती जा रही थी लेकिन वे अलग भी नही हो पा रहे थे लिहाजा दोनों ने मिलकर कंचराम पाटले को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने की खूनी साजिश रची. यह पुरी साजिश को वे बीते एक महीने से अंजाम देने में जुटे थे.
देहव्यापार में शामिल महिला ने ली सुपारी.. कहा तंत्र-मानते से कर दूंगी कंचराम को खत्म.
मुख्य अभियुक्त नरेंद्र टण्डन ने अपने इस योजना को अपने साथी कमल कुमार धुरी जो कि बिलासपुर के सरकण्डा में रहता था उससे साझा किया. कमल ने नरेंद्र को आश्वासन दिया कि वह एक ऐसी महिला को जनता है जोकि कंचराम को रास्ते से हटा सकती है. आरोपी नरेंद्र ने कमल पर विश्वास करते हुए सुपारी किलर महिला से उसकी भेंट कराने को कहा जिसके बाद उनकी आपस मे भेंट हुई. यह सुपारी लेने वाली महिला कोई और नही बल्कि कमल कुमार की प्रेमिका पूर्णिमा साहू थी. पूर्णिमा भी बिलासपुर राजकिशोर नगर की रहने वाली थी. कमल ने पूर्णिमा के अलावा अपने एक अन्य साथी ऋषि कुमार को भी साजिश का हिस्सा बनाया. महिला ने नरेंद्र से हत्या के एवज में ढाई लाख रुपये मांगे जबकि नरेंद्र इसपर तैयार हो गया. महिला ने नरेंद्र को बताया था कि वह बिना खून-खराबा सिर्फ तंत्र-मंत्र से ही कंचराम को खत्म कर देगी जिससे नरेंद्र का विश्वास और बढ़ गया.
योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए एक स्विफ्ट कार का इस्तेमाल किया गया. दरसअल सुपारी किलर पूर्णिमा पेशे से देहव्यापार करती है. उसका दावा है कि उसने पहले भी दूसरे राज्यो में इस तरह की सुपारी ली है जो कि पुलिस के लिए विवेचना का विषय है. पूर्णिमा देहव्यापार के लिए इसी स्विफ्ट कार (सीजी 10 एडी 8804) का इस्तेमाल करती थी. उसने कार के चालक और मालिक रामकुमार श्रीवास को भी अपने साथ शामिल कर लिया. वाहन चालक रामकुमार को भी उन्होंने मोटी रकम देने की बात कही थी. इसके पश्चात पूर्णिमा, कमल कुमार, ऋषि कुमार और चालक रामकुमार 13 मार्च की रात बिलासपुर से कसनिया पहुंचे. यहां पहुंचते ही पूर्णिमा ने कंचराम को फोन लगाया और घर के बाहर बुलाया. दरअसल मृतक की एक भतीजी भी है जो कि मिर्गी की बीमारी से ग्रस्त है. कंचराम अक्सर अपनी भतीजी के लिए दवा के प्रबंध में जुटा रहता था. कुछ वक्त पूर्व पूर्णिमा ने कंचराम को दवा उपलब्ध कराने की बात कही थी. 13 मार्च की रात को जैसे ही कंचराम पूर्णिमा के कार के पास पहुंचा उन्होंने उसे अपने साथ भीतर बैठा लिया.*
ययोजना के अनुरूप कंचराम जैसे ही कार में बैठा पूर्णिमा ने आने सहयोगियों की मदद से उसे सुहागा घोलकर पिला दिया. कंचराम के अचेत होते ही पूर्णिमा ने नरेंद्र को फोनकर काम हो जाने की बात कही. दूसरी तरफ मास्टरमाइंड नरेंद्र कुमार भी अपने एक साथ राजेश जांगड़े के साथ बाइक से कार के पीछे-पीछे कटघोरा आया हुआ था. उन्हें जब मालूम हुआ कि कंचराम का काम तमाम कर दिया गया है तो वे दोनों भी घटनास्थल पर पहुंचे. वे अपने साथ एक टंगिया लेकर आये थे. नरेंद्र ने लाश पर नजर दौड़ाई. जिसके बाद उसने भी टंगिये के पिछले हिस्से से कंचराम के जबड़े में जोरदार वार किया जिससे उसकी मौत हो गई. मौत की पुष्टि होते ही सभी ने कंचराम के शव को सुतर्रा बांस टाल के पास मौजूद पुराने बेरियर के किनारे फेंक दिया और वापिस लौट गए. रास्ते मे उन्होंने मृतक का मोबाइल और हत्या में प्रयुक्त टंगिये को भी फेंक दिया जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है.
प्रेमी नरेंद्र चाहता था कंचराम का जमीन जायजाद तो संतोषी को थी नौकरी पाने की लालसा.
हत्या के इस गहरे साजिश के पीछे जमीन-जायजाद, पैसा और नौकरी का त्रिकोण सामने आया है. नरेंद्र कुमार की नजर कंचराम के जमीन जायजाद और पैसे पर थी जबकि उसकी पत्नी संतोषी की गिद्ध नजर उसके नौकरी पर थी. इसी तरह मृतक के पास काफी खेत भी था जिनपर बम्पर धान की खेती होती थी. आरोपी उसे भी बैचलर पैसा कमाना चाहते थे. इस तरह सुपारी के ढाई लाख के अलावा अभी अभियुक्तों के बीच जमीन और फसल के बन्दरबाद की बात तय हो चुकी थी. यही वजह रही कि पैसे और अवैध सम्बन्ध के लालच में किसी को भी यह आभाष नही हुआ कि उनकी यह प्लानिंग कुछ समय के लिए ही फलीभूत होगी.
सायबर सेल की रही बड़ी भूमिका.. तीन दिनों तक चलती रही आरोपियों की धरपकड़.
डीएसपी रामगोपाल करियारे ने बताया कि कंचराम को आये अंजान कॉल का डिटेल उनके लिए ब्रेक थ्रू साबित हुआ. सायबर सेल की मदद से जिस नम्बर की पहचान की गई वह पूर्णिमा का था. जबकि पूर्णिमा के कॉल।डिटेल से बाकी सभी की धरपकड़ हो सकी. पुलिस के तकनीकी खोजबीन मे यह भी मालूम हुआ कि के अज्ञात कार घटनास्थल के आसपास आई हुई थी जबकि उसपर जो लोग सवार थे वे आपस मे बातचीत कर रहे थे. उनका सम्पर्क मृतक कंचराम से भी था और मुख्य साजिशकर्ता नरेंद्र कुमार से भी. इसी इनपुर के आधार पर सभी की गिरफ्तारी सम्भव हो सकी.
पुलिस के इन अधिकारी-कर्मचारियों की रही महती भूमिका.
अंधे कत्ल की इस पूरी गुत्थी को सुलझाने में जांजगीर व बिलासपुर पुलिस की टीम की महत्वपूर्ण भूमिका और सहयोग सामने आया है जबकि कोरबा व कटघोरा पुलिस स्टाफ ने भी मामले को सुलझाने में अहम योगदान दिया. जिला पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा के निर्देशन, एएसपी कीतर्न राठौर के मार्गदर्शन, प्रभारी एसडीओपी रामगोपाल करियारे के नेतृत्व और कटघोरा थाने प्रभारी इंचार्ज उपनिरीक्षक अशोक शर्मा के अगुवाई में उपनिरीक्षक राजेश श्रीवास्तव, प्रधान आरक्षक द्वय सन्दीप पांडेय, एनएस पैकरा, महिला प्रधान आरक्षक इंदू राजपूत, आरक्षक शिवशंकर परिहार, रजत कैवर्त, सूरज भारद्वाज, संतोष घोष, महिला आरक्षक निर्मला और रीटा तिग्गा की अहम भूमिका रही. वही इनके अतिरिक्त पूरे जांच के दौरान सायबर सेल, डॉग स्क्वायड व एफएसएल की टीम भी मामले के पटाक्षेप में शामिल रही.
यह है सभी आरोपीगण.
- नरेंद्र कुमार टण्डन, बलौदाबाजार.
- संतोषी पाटले. बलौदाबाजार.
- राजेश जांगड़े, जांजगीर-चाम्पा.
04 कमल कुमार धुरी, बिलासपुर.
05 पूर्णिमा साहू, बिलासपुर.
06 ऋषि कुमार, बिलासपुर.
07 रामकुमार श्रीवास, बिलासपुर. अंधे कत्ल के कत्ल के पीछे सामने आया जमीन, पैसा और अवैध सम्बन्ध का त्रिकोण.
■ मृतक की पत्नी का अपने ही जीजा से थे नाजायज सम्बन्ध, हटाना चाहती थी रास्ते से.
■ कत्ल करने सुहागा घोलकर पिलाया फिर टंगिये के पाशे से जबड़े पर भी किया था वार.
■ हत्या के बाद मृतक के पैसे, जमीन और फसल के बंदरबांट की थी साजिश.