इस साल 1करोड़ मीट्रिक टन से ज्यादा धान खरीदी का लक्ष्य :मो.अकबर


रायपुर
(सेंट्रल छत्तीसगढ़़ प्रदेश में 1 नवंबर से धान खरीदी की शुरुआत होने वाली है. ऐसे में धान खरीदी के पहले तैयारियों को लेकर मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि धान खरीदी को लेकर तैयारियां चल रही हैं. पिछले साल 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी. इस साल हमारा लक्ष्य 1 करोड़ मैट्रिक टन से ज्यादा का होगा.


पिछले साल के धान का जो उठाव नहीं हो पाया, इसके निराकरण के बारे में बैठक हुई है. इसमें खाद्य विभाग के मंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी. अंतिम निर्णय लेने से पहले वहां एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा. उसके बाद वह प्रस्ताव कैबिनेट में जाएगा. वहां से जो अनुमति होगी, उसी के अनुसार धान खरीदी की जाएगी. जंगल को बचाने के लिए हसदेव अरण्य से लोग पैदल चलकर राजधानी आ रहे हैं. वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा ग्रामीणों के के बीच गलतफहमी हुई है. हरदेवअरण्य क्षेत्र को लेकर ग्रामीण को आशंका है कि हसदेव अरण्य क्षेत्र को कोल ब्लॉक के लिए शामिल करवाया जा रहा है, ऐसी कोई बात नहीं है.

कुल मिलाकर मामला हाथी रिजर्व का आता है. तत्कालीन सरकार के तीन हाथी रिजर्व बने थे और भारत सरकार से तीनों की अनुमति प्राप्त थी. एक लेमरु हाथी रिजर्व था. 2007 में भारत सरकार से सैद्धांतिक सहमति आई थी. उसमें नोटिफिकेशन किया जाना था लेकिन 2007 से लेकर 2018 तक 11 वर्षों में उसका नोटिफिकेशन नहीं किया गया. मोहम्मद अकबर ने बताया कि हमारी जानकारी के अनुसार वहां कोल का बड़ा भंडार है. कोयले का भंडार होने के कारण उनके द्वारा कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया. सरकार बदलने के बाद क्षेत्र का सर्वे किया गया. हाथियों को वहां का वातावरण पसंद है. इसकी जानकारी ली गई. मंत्रिमंडल के सामने वन विभाग ने 1995 वर्ग किलोमीटर प्रस्ताव प्रेरित किया. मंत्रिमंडल से उसकी स्वीकृति हो गई है. उसका नोटिफिकेशन किया जाना है.

बीच में बहुत से लोगों का बयान आया कि उसे कोयले के कारण 1995 वर्ग किलोमीटर को हटाया जा रहा. ऐसी कोई बात नही है. 1995 वर्ग किलोमीटर एक बार बढ़ा कर तय कर दिया गया है, वही रहेगा. मोहम्मद अकबर ने बताया कि वन विभाग के पास सिर्फ जमीन का क्लीयरेंस करने के लिए आता है. कोल ब्लॉक का आइडेंटिफिकेशन राज्य सरकार के कार्य क्षेत्र में नहीं है. कोल ब्लॉक का चिन्हांकन केंद्र सरकार करती है भारत सरकार जो कॉल ब्लॉक चिन्हित करती है, उसके बाद वन विभाग के पास कितने पेड़ काटे जाएंगे. पैदल आने वाले ग्रामीणों को लेकर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि अगर वह मिलना चाहेंगे तो उनसे जरूर मुलाकात की जाएगी और उनसे बात की जाएगी.