कोरबा/कटघोरा 10 अक्टूबर 2022 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) शशिकांत डिक्सेना : कटघोरा जेंजरा बायपास चौराहे पर सर्व आदिवासी समाज ने आज वृहद रूप से चक्का जाम किया। जनजातीय समुदाय को छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग यहां पर की गई। इस मौके पर रामपुर विधायक ननकीराम कंवर व कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर उपस्थित रहे। आदिवासी समाज से वास्ता रखने वाले विभिन्न घटक इस प्रदर्शन में शामिल हुए। पिछले कुछ दिनों से आरक्षण के मसले को लेकर सरकार के साथ इस समुदाय की तकरार बनी हुई है। आदिवासी समाज मांग कर रहा है कि सभी क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व और अवसर देने के लिए उन्हें 32 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। जिसे लेकर मुख्यमंत्री के नाम कटघोरा अनुविभागीय अधिकारी कौशल प्रसाद तेंदुलकर को ज्ञापन सौपा गया।
सर्व आदिवासी समाज ने कहा कि किसी भी प्रकार की कटौती और असंतुलन उन्हें बर्दाश्त नहीं है। तर्क दिया जा रहा है कि प्रदेश में उनकी आबादी ज्यादा है और योगदान भी अधिक है इसलिए आरक्षण के मामले में उन्हें ज्यादा मौके मिलना ही चाहिए। जनजातीय समाज की जिला इकाई के नेतृत्व में कटघोरा के मुख्य चौराहे पर आज सुबह चक्का जाम कर दिया गया। इससे सबसे ज्यादा परेशानी उन बहनों और लोगों को हुई जो शहर के बीच से होकर आवाजाही करते हैं । इस दौरान इस रास्ते पर वहीं वाहन फंसे जिन्हें चक्का जाम के बारे में जानकारी नहीं थी। जबकि बाईपास का उपयोग करने वाले वाहनों को काफी आसानी हुई और वे बड़ी आसानी से अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए। इधर शहर के बीच चक्का जाम होने से उत्पन्न परिस्थिति को देखते हुए पुलिस ने अपनी ओर से कोशिश की। और चककजाम को बहाल कराया।
यहां यह बताना लाजिमी होगा कि 19 सितंबर 2022 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसला से छत्तीसगढ़ राज्य आरक्षण अध्यादेश 2012 को अमान्य कर दिया गया था। इस फैसले से छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी समुदाय को शैक्षणिक प्रवेश एवं नए नियुक्तियों में जनसंख्या अनुरूप प्रावधान 32% आरक्षण प्रभावित होगा। जोकि संभवत 20% हो जाने की आशंका है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अभी तक कोई सूचना या निर्देश स्पष्ट नहीं किया गया है। पूर्व में केंद्र डीओपीटी द्वारा 7 जुलाई 2005 को छत्तीसगढ़ राज्य में जनसंख्या अनुरूप 32% आरक्षण दिए जाने के बाद आदिवासी समाज द्वारा लगातार निवेदन, आवेदन धरना प्रदर्शन एवं विधानसभा घेराव उपरांत छत्तीसगढ़ के तात्कालिक शासन द्वारा 2012 में आरक्षण अध्यादेश में 32% आरक्षण प्रावधान किया गया था। जिस पर कुछ लोगों द्वारा हाईकोर्ट में अपील किया गया था। 2012 से लेकर 2022 तक की सरकारें आदिवासियों के पक्ष में सही तथ्य को नहीं रख पाने के कारण 2022 में हाईकोर्ट में शासन अपने अध्यादेश को हार गया। छत्तीसगढ़ में बहुसंख्यक आदिवासी समुदाय है एवं 60% भू-भाग आदिवासियों के लिए पांचवी अनुसूची क्षेत्र के रूप में संवैधानिक रूप से आरक्षित है हाईकोर्ट के फैसले से प्रदेश के सभी आदिवासी समुदायों को आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक हानि उठाना पड़ेगा । आने वाले समय में युवाओं का भविष्य खतरे में होगा इन विषयों को लेकर सर्व आदिवासी समाज आंदोलन कर अब सड़क की लड़ाई लड़ने पर मजबूर हो गया है।