बस्तर (सेंट्रल छत्तीसगढ़):- नक्सल प्रभावित बस्तर के कई ग्रामीण इलाके आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं. यहां के अधिकांश गांवों में रहने वाले लोग बिजली, सड़क, स्वास्थ्य और पेयजल के लिए तरस रहे हैं. बस्तर में कई ऐसे गांव हैं जहां आजादी के 70 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंच पाई है. इन गांवों में रोशनी पहुंचाने के लिए शासन ने अब तक कोई पहल तो की नहीं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से जिला प्रशासन ने यहां बिजली पहुंचाने का प्रयास कर रही है.
अंधेरे में डूबे नक्सलगढ़ में जल्द होगा उजाला
बस्तर के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में ऐसे 10 से अधिक गांव है जहां अब तक बिजली नहीं पहुंच पाई है. इन गांवों में बिजली को तारों से जोड़ने के लिए जिला प्रशासन ने काम शुरू कर दिया है. बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ने इन गांवों तक बिजली के साथ-साथ मोबाइल नेटवर्क, आंगनबाड़ी केंद्र और अन्य मूलभूत सुविधा पहुंचाने का दावा किया है.
गांव के बच्चे
‘मनवा नवा नार’ योजना के तहत होंगे विकास काम
कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा (मनवा नवा नार) ‘हमारा नया गांव एक नई पहल एक सुनहरा कल’ योजना की शुरुआत की है. योजना के तहत जिन ग्रामीण अंचलों (नक्सल प्रभावित ग्रामीण अंचल) में अब तक विकास नहीं पहुंचा है. उनका चयन कर वहां पुलिस कैंप खोले जाएंगे. साथ ही गांव में मूलभूत सुविधाएं पहुंचाई जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि आदिवासियों के आर्थिक विकास के लिए पुलिस कैंपों में इस्तेमाल होने वाली सब्जियां, दूध, पोल्ट्री के साथ-साथ दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएं ग्रामीणों और स्थानीय स्वयं सहायता समूह से ली जाएंगी.
नक्सल प्रभावित गांव
क्या है ‘मनवा नवा नार’ योजना जिसके तहत होंगे विकास कार्य
नक्सल संवेदनशील गांवों में विकास को बढ़ाने को लिए ‘मनवा नवा नार’ योजना शुरु की गई है. जिले के कलेक्टर रजत बंसल गांवों का भ्रमण कर रहे हैं. मनवा नवा नार के तहत इन इलाकों में लगने वाले सुरक्षाबलों के कैंपों और आस पास के गांवों के बीच एक एग्रीमेंट किया जाएगा. जिसके मुताबिक कैंपों को भोजन में लगने वाले सामान की आपूर्ति ग्रामीणों और स्थानीय स्वयं सहायता समूह से ली जाएंगी. अभी कुछ ही जगहों पर इसे शुरु किया जा रहा है, जैसे-जैसे ग्रामीणों की उपज में बढ़ोतरी होगी, इससे सभी गांवों को जोड़ा जाएगा. इस योजना में एनआरएलएम कृषि उद्यानिकी पशुधन विकास विभाग, जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन एकजुट होकर काम करेंगे.
नक्सल प्रभावित गांव में घर
विद्युत विभाग का आदेश
बस्तर कलेक्टर ने कहा कि हाल में उन्होंने लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में जन समस्या शिविर लगाया गया. इस दौरान उन्हें पता चला कि कई नक्सल प्रभावित गांव ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची है. उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से टेटम, बोदली समेत 10 से अधिक गांवों में ग्रामीण अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. बस्तर कलेक्टर ने छत्तीसगढ़ विद्युत विभाग (CSEB) को इन गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए आदेश दिया और जल्द काम पूरा करने के लिए भी निर्देश दिया है.
क्यों नहीं हो पाए अब तक इन इलाकों में काम
बस्तर के घोर नक्सल प्रभावित गांव बोदली, टेटम, कहचेनार, सालेपाल तुमसकोंटा समेत कई गांव ऐसे हैं, जहां पहुंच पाना आसान नहीं है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से यहां नक्सलियों की दहशत और दुर्गम रास्ते समेत कई तरह की चुनौतियां हैं. इन गांवों तक मूलभूत सुविधा को पहुंचाने में भी प्रशासन के पसीने छूट जाते हैं. यही वजह है कि यहां मूलभूत सुविधाएं अब तक नहीं पहुंच पाई हैं.
बस्तर कलेक्टर के आदेश के बाद सीएसईबी के अधिकारियों ने इन गांवो का सर्वे करना शुरू कर दिया हैं. कलेक्टर का कहना है कि शासन के नियमानुसार यह काम किया जा रहा है और हर गांव तक बिजली और कनेक्टिविटी पहुंचाने की कोशिश जिला प्रशासन की ओर से की जा रही है.
ग्रामीणों में खुशी
ग्रामीणों में भी कलेक्टर द्वारा काम में तेजी दिखाने के बाद काफी खुशी है. ग्रामीणों का कहना है कि बिजली नहीं होने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने के साथ ही कई सारे दिक्कतें आती है. ऐसे में अगर गांव में बिजली आती है तो उन्हें अंधेरे से आजादी मिलेगी. जानकारी के मुताबिक, आगामी जनवरी- फरवरी तक जिले के नक्सल प्रभावित गांव रोशनी से जगमगा उठेंगे.