बेलगहना दुष्कर्म एवं गर्भपात मामले की कार्यवाही को लेकर महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय ने भी उठाए सवाल, भूपेश सरकार पर साधा निशाना, कहा- मौन क्यों है प्रदेश सरकार…?

बिलासपुर ( सेंट्रल छत्तीसगढ़) हिमांशु डिक्सेना :- बिलासपुर जिले के बेलगहना पुलिस चौंकी अंतर्गत ग्राम करहीकछार में घटित नाबालिग से दुष्कर्म एवं गर्भपात के चर्चित मामले की कार्यवाही को लेकर भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश मंत्री प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री बिलासपुर गए मगर पीड़ित परिवार से मुलाकात करना मुनासिब नही समझा।तथा घटना को लेकर पीड़ित परिवार के प्रति सहानुभूति जाहिर करते हुए कहा कि वो हमेशा पीड़ित पक्ष के साथ खड़े है और घटना में शामिल सभी आरोपियों को सजा दिलाने में हरसंभव प्रयास करेंगे।जिसके बाद अब भाजपा नेत्री एवं राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय ने दुष्कर्म मामले को लेकर कांग्रेस नेताओं की मौन पर आश्चर्य जाहिर किया है।तथा छत्तीसगढ़ में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कांग्रेस नेताओं को आवाज़ उठाने की सलाह दी है।श्रीमती पाण्डेय ने हाथरस की घटना पर भी निंदा जाहिर की है।भाजपा नेत्री ने प्रेस नोट जारी कर कांग्रेस पार्टी पर संवेदनशील मुद्दे को लेकर राजनीति करने का भी आरोप लगाते हुए कहा कि बेलगहना और बलरामपुर रेप काण्ड पर भी कांग्रेस नेताओं को विरोध करना चाहिए।मामले को लेकर जारी बयान में हर्षिता ने कहा है कि हाथरस में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की जांच के लिए एसआईटी का भी गठन राज्य सरकार ने की है।लेकिन छत्तीसगढ़ में रेप की घटनाएं बहुत सुनने और पढ़ने को मिल रही है।इस पर भी लगाम लगाना बहुत जरूरी है।लेकिन कांग्रेस सरकार द्वारा इस बात को लेकर मौनव्रत समझ से परे है।दरअसल सरकार हाथरस का बहाना लेकर राज्य में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को छिपाने का प्रयास कर रही है।उन्होंन हाल के दिनों में हुए घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि वाड्रफनगर में एक नाबालिग को नशीली दवा खिलाकर सामूहिक दुष्कर्म किया गया।इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है।लेकिन पुलिस स्थानीय रसूखदारों और राजनीतिक दबाव में मामले की लीपापोती करने में जुटी हैं।वहीं दूसरा हैरान करने वाला मामला बेलगहना पुलिस चौकी के अधीन आने वाले ग्राम पंचायत करहीकछार के आश्रित ग्राम सरगुजिहा पारा का है।जहां उरांव समाज की 13 वर्षीय आदिवासी बेटी के साथ दुष्कर्म किया गया।जिसके कारण दुष्कर्म पीड़िता 13 साल की मासूम गर्भवती हो गई और 4- 5 माह का गर्भ होने पर समाज के रसूखदारो ने अपराध को छुपाने के लिए समाज की बैठक में तुलगलकी फरमान जारी करवा दिया व आरोपियों को बचाने कोरबा जिले के किसी अस्पताल में ले जाकर बच्ची का गर्भपात करवा दिया गया।इस घटना की जानकारी जिम्मेदारों को होने पश्चात भी मामला दबाए रखा गया।और जब मामला उजागर हुआ तो पुलिस ने मुख्य परिवार के लोगों को आरोपी बनाया जबकि उक्त घटना में शामिल अन्य लोगों को जांच के नाम पर पुलिस बचाने का काम कर रही है।पूर्व राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि बच्ची मूकबधिर है और ना बोल सकती है ना सुन सकती है।फिर भी ना केवल पुलिस गैर जिम्मेदाराना रवैया अपना रही है बल्कि राज्य सरकार भी चुप्पी साधे बैठा है।इसी प्रकार तीसरा मामला राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पहाड़ी कोरवा से जुड़ा है।जशपुर के सन्ना थाना की सोनक्यारी चौकी अंतर्गत पंडरसिली के वृन्दाटोली के ग्रामीणों का आरोप है कि पहाड़ी कोरवा समाज की एक लड़की के साथ पहले बलात्कार किया जाता है और जब लड़की सात-आठ माह की गर्भवती हो जाती है तो गर्भपात कराने को कहा जाता है।फिर गाँव के दबाव और पुलिस के डर से लड़की को रखने आरोपी तैयार होते हैं।इसके बाद उसकी लाश पेड़ पर लटकी मिलती है।और मामले को आत्महत्या का नाम दिया जाता है।हर्षिता पाण्डेय ने कहा कि पिछले 13 माह में छत्तीसगढ़ में बलात्कार के 2575 मामले सामने आ चुके हैं।यह जानकारी खुद सरकार ने विधानसभा में दी है।रायपुर जिले में सबसे अधिक 301, रायगढ़ जिले में 196, बिलासपुर में 144, सरगुजा में 139, सुरजपुर में 132 ,जशपुर में 123 ,बलौदबाजार में 123, बस्तर में 115, कोरिया में 114 ,बलरामपुर में 112, कोरबा में 102 बलात्कार के मामले दर्ज हैं।ऐसे में सोचनीय है कि सख्त कानून बनने के बाद भी बलात्कारियों के हौसले पस्त नही हो रहे।यह सब वर्तमान सरकार की ही देन है।हर्षिता ने नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में महिलाओं पर अत्याचार के मामले 40 फीसदी बढ़े है।बलात्कार के आंकड़ों में राजस्थान देश मे नम्बर एक राज्य है।राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को कभी इन राज्यों की सुध लेनी चाहिए।हर्षिता ने कहा कि बलात्कार घृणित दाग है।अपराधियों के खिलाफ पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्यवाही होनी चाहिए।इस पर राजनीति करने की बजाय सत्ताधारियों द्वारा ठोस कार्यवाही की आवश्यकता है।