रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया था कि वे नया रायपुर में मिले बंगलों में रहकर वहां से ही अपने काम को निपटाएंगे. लेकिन लगभग ढाई साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी अब तक अधिकारी और कर्मचारी नया रायपुर रहने नहीं गए. इतना ही नहीं आज तक नया रायपुर में लोगों की बसाहट नहीं हो सकी है. ऐसे में नया रायपुर में लोगों की बसाहट नहीं हुई तो वह खंडहर में तब्दील हो जाएगा.
मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बंगलों से संचालित हो रहे सरकार के विभागीय कार्य को सभी अधिकारी कर्मचारी अपने शासकीय काम शहर में ही निपटा रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री और मंत्री की बात की जाए तो उनके विभागीय काम भी उनके बंगलों से संचालित हो रहे हैं. ऐसे में नया रायपुर की बसाहट कैसे होगी?
खंडहर में तब्दील हो जाएगा नया रायपुर !
नया रायपुर को लेकर पूर्व की बीजेपी सरकार ने किया था प्रोजेक्ट तैयार
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लगातार बढ़ रही जनसंख्या के दबाव को देखते हुए और इसके विस्तार को लेकर पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने एक नया प्रोजेक्ट तैयार किया था. जिसके तहत नया रायपुर का निर्माण शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर किया गया. यहां सरकार के सबसे बड़े मुख्यालय यानी महानदी भवन मंत्रालय और तमाम विभागों के विभागाध्यक्ष, कार्यालय, कई दफ्तर इंद्रावती भवन में शिफ्ट हो चुके हैं. पुलिस मुख्यालय जैसे तमाम दफ्तर पहले ही यहां शिफ्ट हो चुके हैं.
इस नया रायपुर में लंबी-चौड़ी सड़कें, उद्यान, बहुमंजिला इमारतें, सरकारी दफ्तर सहित अधिकारियों और कर्मचारियों के रहने के लिए बंगले बनाए गए. इतना ही नहीं नया रायपुर में राजभवन, सीएम हाउस और मंत्रियों के निवास का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है. साथ ही इस नया रायपुर को रोशन करने के लिए अच्छी विद्युत व्यवस्था, बिजली के खंभे, लाइट लगाए गए हैं. यहां अंडरग्राउंड नालियां सहित तमाम मूलभूत सुविधाएं, जो जरूरी हैं उसकी भी व्यवस्था की गई है.
बड़े-बड़े तालाब और उद्यान भी यहां बनाए गए हैं. इसके लिए करोड़ों-अरबों रुपए सरकार के खजाने से खर्च किए गए, लेकिन इन सुविधाओं के बावजूद आज तक इस नया रायपुर में उन लोगों की बसाहट नहीं हो सकी है. आखिर क्या कारण है कि अरबों रुपए खर्च करने के बावजूद नया रायपुर गुलजार नहीं हो पा रहा है.
नया रायपुर में बसाहट के लिए सरकार कर रही है प्रयास
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि नया रायपुर में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बंगले अभी निर्माणाधीन है. उसके बनने के बाद वहां बैठक ली जाएंगी. वैसे भी पूर्व से ही मुख्यमंत्री और मंत्रियों के निवास में बैठकें किए जाने की परंपरा रही है. शैलेश ने कहा कि कोरोना काल में केंद्र सरकार के द्वारा राज्य को कोई बड़ी राहत नहीं दी गई. उल्टा नए संसद भवन के प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार बड़े पैमाने पर बना रही है. छत्तीसगढ़ सरकार ने अलग पहल करते हुए नया रायपुर में निर्माणाधीन मुख्यमंत्री निवास मंत्रियों के बंगलों सहित अन्य निर्माण रोक दिया था, जिससे कोरोना से निपटने में मदद मिल सके.
हालांकि कोरोना के मामले कम आने के बाद स्थिति सामान्य होती नजर आ रही है और एक बार फिर राज्य सरकार ने इन निर्माण कार्यों को पुनः शुरू करने के निर्देश दिए हैं. शैलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री जल्द नया रायपुर में बसाहट बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. शासकीय दफ्तरों सहित निगम मंडल आयोग के सभी कार्यालय नया रायपुर शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं, इसका कार्य जारी है. नया रायपुर में बसाहट होने से शहर में ट्रैफिक और जनसंख्या का दबाव कम होगा.
नहीं हुई बसाहट तो खंडहर में तब्दील हो जाएगा नया रायपुर
वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि नया रायपुर की संरचना भाजपा सरकार के द्वारा की गई थी. जिस तरीके से वहां बड़े बसाहट के उद्देश्य से नए राजधानी का निर्माण किया गया था. उस निर्माण कार्य को आगे ले जाने में कांग्रेस सरकार पूरी तरह से असफल रही है. मुख्यमंत्री ने मंत्रालय जाना छोड़ दिया है. मंत्री मंत्रालय नहीं जाते हैं. बंगले से पूरी सरकार संचालित हो रही है. ऐसे में नई राजधानी की बसाहट कैसे होगी? मुख्यमंत्री अधिकारियों को नया रायपुर जाने के निर्देश देते हैं, अधिकारी शहर के बंगले छोड़ने को तैयार नहीं हैं क्योंकि नया रायपुर में किसी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. अधिकारी भी वहां कैसे जाएं.
इस सरकार ने नया रायपुर के बसाहट को लेकर कोई भी नया प्लान तैयार नहीं किया है. सिर्फ अपने बंगले के लिए सरकार के द्वारा एक बड़ी राशि आवंटित की गई. विधानसभा भवन का निर्माण कराया जा रहा है. लेकिन आधारभूत सुविधाएं अधोसंरचना उसको लेकर सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाए गए. यही कारण है कि आज लोग नया रायपुर में रहने रुचि नहीं दिखा रहे हैं. मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक अपने सारे काम बंगलों से ही निपटा रहे हैं. इन लोगों ने मंत्रालय जाना ही छोड़ दिया है. बसाहट न होने की वजह से आज नया रायपुर खंडहर में परिवर्तित होता जा रहा है.
नया रायपुर में बैठकों सहित अन्य गतिविधियों को करना होगा तेज
वहीं वरिष्ठ पत्रकार गिरीश केसरवानी का कहना है कि सरकार के द्वारा नया रायपुर तो बना दिया गया, लेकिन वहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. अभी तक वहां जरूरी संसाधन मुहैया नहीं कराए गए हैं. वहां इंफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त मात्र में नहीं हैं. जिन लोगों ने वहां मकान ले लिया है या तो वहां जा नहीं रहे हैं और जो लोग गए हैं, उनकी संख्या बहुत कम है. सरकार को चाहिए अगर नया रायपुर को डेवलप करना है तो जितनी भी सरकारी मीटिंग है, उन्हें मंत्रालय में आयोजित करे. जितने भी हमारे जनप्रतिनिधि अगर उनकी एक्टिविटी नया रायपुर क्षेत्र में बढ़ेगी तो उसके बाद वहां बसाहट हो पाएगी.
बहरहाल कारण जो भी हो, लेकिन आज नया रायपुर में करोड़ो अरबों रुपए खर्च करने के बाद भी बसाहट नहीं हो सकी है. सरकार नया रायपुर में बसाहट के लिए जरूरी कदम नहीं उठाएगी, तो वह दिन दूर नहीं जब करोड़ों-अरबों रुपए का यह प्रोजेक्ट खंडहर में तब्दील हो जाए.