
कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) अकित सिंह: कोरबा जिले के कुदमुरा पंचायत क्षेत्र में अवैध रेत खनन और भंडारण का गोरखधंधा जोरों पर चल रहा है। रेत माफिया बेखौफ होकर शासन-प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर दिनदहाड़े और रात के अंधेरे में रेत का अवैध खनन कर उसे ऊंचे दामों में खपाने में जुटे हुए हैं। जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में करीब 700 से 800 ट्रैक्टर रेत का अवैध रूप से भंडारण किया गया है, जिसे ट्रैक्टर व हाइवा के जरिए अन्य जगहों पर बेचने की तैयारी की जा रही है। शासन को इससे प्रतिदिन हजारों-लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, मगर जिम्मेदार विभाग और प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में है।
खनिज विभाग की बात करें तो विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी है। पूरे जिले में गिनती के अधिकारी-कर्मचारी ही निगरानी और कार्रवाई का जिम्मा संभाल रहे हैं। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर अवैध रेत कारोबारी बेखौफ होकर इस अवैध धंधे को अंजाम दे रहे हैं। विभागीय टीम कभी-कभार औपचारिकता निभाने जरूर पहुंचती है, मगर रेत माफियाओं के गठजोड़ और मिलीभगत के चलते बड़ी कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है। यही वजह है कि अवैध कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं और शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
रेत का अवैध खनन न केवल सरकार की राजस्व व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे क्षेत्र का पर्यावरण भी गहराई से प्रभावित हो रहा है। नदियों की धाराएं बदली जा रही हैं। जलस्तर गिर रहा है। प्राकृतिक असंतुलन बढ़ रहा है और इसके दूरगामी दुष्परिणाम पूरे क्षेत्र पर पड़ सकते हैं। बावजूद इसके संबंधित विभाग और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।
स्थानीय ग्रामीणों की माने तो बीते कुछ महीनों से कुदमुरा पंचायत में अवैध रेत खनन और भंडारण की गतिविधियां तेजी से बढ़ गई हैं। क्षेत्र में प्रतिदिन दर्जनों ट्रैक्टर रेत भरकर ले जाए जा रहे हैं। कई बार शिकायतें की गईं, मगर कार्रवाई या तो कागजों तक सीमित रही या फिर मामूली जुर्माना लगाकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि खनिज विभाग को भी इस पूरे मामले की जानकारी है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
ग्रामीण रामनारायण यादव ने बताया कि कुदमुरा पंचायत के बाहर खेतों और बस्ती के नजदीक 700 से 800 ट्रैक्टर रेत का भंडारण किया गया है। यह रेत रात के अंधेरे में चोरी-छिपे ट्रैक्टर और हाइवा से खपाया जा रहा है। इसकी जानकारी कई बार संबंधित अधिकारियों को दी गई, मगर अब तक कोई असर नहीं पड़ा। माफियाओं ने नदियों की धार मोड़ दी है, जिससे आने वाले समय में भारी जल संकट खड़ा हो सकता है। साथ ही अवैध रेत से लदे ट्रैक्टर और हाइवा के अत्यधिक दबाव के कारण सड़कों की हालत बदतर होती जा रही है।
साफ है कि खनिज विभाग की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता के चलते अवैध कारोबारियों का तंत्र मजबूत होता जा रहा है। कई मामलों में तो यह भी सामने आया है कि रेत माफियाओं को कुछ रसूखदारों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण इनके खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल हो गया है। यही वजह है कि रेत माफिया दिनदहाड़े खुलेआम अपने वाहनों से रेत का परिवहन कर रहे हैं और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
इस पूरे प्रकरण से सरकार की छवि भी प्रभावित हो रही है। एक ओर सरकार खनिज संपदा के संरक्षण और खनिज राजस्व बढ़ाने की दिशा में नई-नई योजनाएं लागू कर रही है, दूसरी ओर कोरबा जिले के कुदमुरा पंचायत में अवैध रेत कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है। यदि समय रहते इस पर सख्ती नहीं बरती गई तो यह कारोबार और भी विकराल रूप ले लेगा और सरकार को न केवल राजस्व हानि होगी बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी आलोचना का सामना करना पड़ेगा।
क्षेत्रवासियों ने जिला प्रशासन, खनिज विभाग और पुलिस अधीक्षक से संयुक्त रूप से अभियान चलाकर इस अवैध कारोबार पर तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही इस पर नकेल नहीं कसी गई तो आगे चलकर रेत माफियाओं के हौसले और बुलंद हो जाएंगे और इससे आम लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा। अवैध खनन का असर नदियों, सड़कों, पर्यावरण और समाज पर भी पड़ेगा, जिसकी भरपाई भविष्य में करना नामुमकिन हो जाएगा।
अब देखना यह है कि क्या खनिज विभाग और प्रशासन इस अवैध कारोबार पर सख्त कार्रवाई कर शासन के राजस्व को बचा पाएगा या फिर यह गोरखधंधा यूं ही चलता रहेगा।